हरियाणा में हादसा:किसान आंदोलन में लंगर लेकर दिल्ली जा रहे कैथल के युवकों की कार पानीपत में नहर में गिरी, एक लापता

  • सिवाह बाइपास पर दिल्ली पेरलर नहर के पुल पर हुआ हादसा
  • दो युवकों ने बाहर निकल बचाई जान, एक की तलाश जारी

किसान आंदोलन में लंगर लेकर दिल्ली जा रहे कैथल के युवकों की कार पानीपत के सिवाह बाइपास पर दिल्ली पेरलर नहर में गिर गई। दो युवकों ने जैसे-तैसे करके खुद को निकाला, लेकिन एक युवक पानी के तेज बहाव में बह गया। गोताखोरों ने भी युवक की तलाश की, लेकिन सोमवार दोपहर तक उसका पता नहीं लग सका।

कैथल जिले के गांव कच्ची पिसौल के यदविंद्र व गुरकरण और दूसरे गांव मस्तगढ़ के जसप्रीत के साथ किसान आंदोलन में लंगर लेकर स्विफ्ट डिजायर कार से दिल्ली जा रहे थे। हाईवे पर जाम से बचने के लिए युवकों ने दिल्ली पेरलर नहर किनारे का रास्त चुना। रविवार रात करीब 10:30 बजे युवक जब पानीपत के सिवाह बाइपास पर पहुंचे तो सामने से आये ट्रक के डीपर और हल्की धुंध में उन्हें पुल नहीं दिखाई दिया। पुल पर मोड़ने के बजाय कार सीधी निकल गई। एक गहरे गड्‌ढे में गिरने के बाद अनियंत्रित हुई कार नहर में जा गिरी। कार यदविंद्र चला रहा था, गुरकरण कंडक्टर सीट और जसप्रीत पीछे बैठा था।

सबसे पहले गुरकरण बाहर निकला। उसके बाद जसप्रीत और यदविंद्र गाड़ी से बाहर आए। गाड़ी से बाहर आने के दौरान जसप्रीत तेज बहाव की तरफ चला गया। गुरकरण ने हाथ पकड़ने का प्रयास किया, लेकिन पकड़ नहीं पाया। फिर दोनों सिर पर बांधा हुआ फरना जसप्रीत की ओर फेंका, लेकिन जसप्रीत फरना नहीं पकड़ सका और तेज बहाव में बहता चला गया। दोनों युवकों ने काफी दूर तक जसप्रीत की तलाश की, लेकिन वह नहीं मिला।

100 नंबर पर भेजी लोकेश, तब पहुंची पुलिस
यदविंद्र ने बताया कि काफी तलाश करने के बाद भी जसप्रीत के न मिलने पर उन्होंने 100 नंबर पर कॉल की। पुलिस ने लोकेशन भेजने को कहा तो सोशल मीडिया से लोकेशन भेजी। जिसके करीब आधा घंटे बाद पुलिस मौके पर आई। क्रेन से गाड़ी को बाहर निकाला।

दो बहनों का इकलौता भाई है जसप्रीत

नहर में अभी तक लापता कैथल के गांव मस्तगढ़ का जसप्रीत दो बहनों का इकलौता भाई है। कार के नहर में गिरने की सूचना पर दोनों गांवों से परिजन सिवाह बाइपास पहुंचे। जसप्रीत न मिलने से परिजनों को बुरा हाल रहा।

सिवाह बाइपास पर है अंधा मोड़, साइन बोर्ड तक नहीं
करनाल की ओर से आने के दौरान सिवाह बाइपास पर दिल्ली पेरलर नहर के बायें ओर की सड़क खत्म हो जाती है। इसके बाद पुल क्रास करके नहर के दूसरी ओर जाना होता है। यहां सड़क खत्म होने और मुड़ने के लिए कोई साइन बोर्ड नहीं है। पुल की बाउंड्री भी छोटी है। ऐसे में रात के समय और पहली बार इस रोड पर चलने वाले लोगों को मोड़ की जानकारी नहीं होती और वाहन सीधा नहर में चला जाता है। यदविंद्र ने बताया कि उनके गिरने के बाद कई अन्य वाहन भी गिरने से बचे हैं।

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