दिल्ली-एनसीआर की एरिया में कई जगहों पर रुक-रुककर बारिश हो रही है। इससे राजधानी के प्रदूषण स्तर में काफी कमी आई है, लेकिन बारिश के बाद भी राजधानी में कई जगहों पर प्रदूषण का स्तर मॉडरेट से खतरनाक श्रेणी में बना हुआ है। बारिश के पहले एक बजे ओखला एरिया में PM 2.5 का स्तर 157, पंजाबी बाग़ में 153, मदर डेयरी पर 137, पूसा रोड में 124 और अमेरिकी दूतावास क्षेत्र में 57 (मॉडरेट) दर्ज किया गया था, जबकि वर्षा के बाद पंजाबी बाग में पीएम 2.5 63 अंक पर आ गया। इसी प्रकार पूसा में 30 (ग्रीन लेवल) और मंदिर मार्ग पर 53 (मॉडरेट स्तर) पर पहुंच गया। वर्षा के बाद भी कुछ इलाकों में प्रदूषण का स्तर मॉडरेट से खतरनाक स्तर पर बना हुआ है जो सरकार के साथ-साथ आम लोगों के लिए भी चेतावनी है।
राजधानी में प्रदूषण का यह स्तर तब पाया गया है जबकि दिल्ली सरकार पूरे वर्ष भर प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए विभिन्न उपाय करती रही है। दिल्ली सरकार का दावा है कि उसने पराली जलाने से रोकने, स्मोग टावर लगाने, निर्माण स्थलों के प्रदूषण को कम करने, प्रदूषणकारी वाहनों पर कार्रवाई करने और उन्हें राजधानी में प्रवेश देने से रोकने, ई-वाहनों को बढ़ावा देने और हरित क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए काफी काम किया है। सरकार का दावा है कि उसके इस कार्यों से राजधानी के प्रदूषण में कमी आई है।
जिस तरह पिछले दो दिनों में राजधानी में प्रदूषण की स्थिति गंभीर हुई है, उसे देखते हुए स्पष्ट हो रहा है कि सरकार के प्रयास अपर्याप्त रहे हैं और यदि राजधानी के लोगों को स्वच्छ वायु प्रदान करनी है तो इसके लिए जमीनी स्तर पर बड़े कार्य करने होंगे। प्रतीकात्मक कार्यों से प्रदूषण की स्थिति में कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा।
पर्यावरण विशेषज्ञ श्रेष्ठ तायल ने अमर उजाला को बताया कि ऐसा बिलकुल नहीं कहा जाना चाहिए कि केंद्र या दिल्ली सरकार के प्रयास बेकार रहे हैं। सच्चाई यह है कि ईस्टर्न और वेस्टर्न पेरिफेरल रोड्स बनाने से दिल्ली की हवा सांस लेने लायक रह पाई है। यदि केंद्र सरकार ने यह प्रयास न किया होता तो आज दिल्ली में सांस लेना दूभर हो जाता।
इसी प्रकार दिल्ली सरकार के पराली जलाने की घटनाओं को कम करने, स्मॉग टावर लगाने और हरित क्षेत्र बढ़ाने के प्रयास भी प्रदूषण को कम करने में सहायक सिद्ध हुए हैं। लेकिन जिस तरह से प्रदूषण बढ़ रहा है, वह यह साबित करता है कि राजधानी को रहने के योग्य बनाने के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना चाहिए। प्रतीकात्मक प्रयासों से बात नहीं बनेगी।
पर्यावरण विशेषज्ञ के मुताबिक राजधानी के औद्योगिक प्लांट्स के एनसीआर एरिया में चले जाने से राजधानी में प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण वाहन ही रह गए हैं। इसे कंट्रोल करने के लिए सभी वाहनों को गैस या इलेक्ट्रिक पर चलना अनिवार्य किया जाना चाहिए। व्यावसायिक वाहनों को रात्रि के समय विशेष अवधि में ही दिल्ली की सीमा में आने-जाने दिया जाना चाहिए जिससे आवश्यक सामानों की कमी न हो।
राजधानी के विशेष क्षेत्रों को पूरी तरह वाहननिषिद्ध क्षेत्र घोषित करने पर भी विचार किया जाना चाहिए, लेकिन इसके पहले इन जगहों तक आम आदमी की सार्वजनिक परिवहन से पहुँच बेहद आसान और सुरक्षित बनाया जाना चाहिए।
स्मॉग टावर सही विकल्प नहीं
विशेषज्ञ के मुताबिक, स्मॉग टावर प्रदूषण पैदा होने के बाद उसे साफ़ करने का काम करता है, लेकिन हमारी कोशिश द्वितीयक प्रदूषण को कम करने की नहीं, बल्कि प्रदूषण के प्राथमिक स्रोत को ही नष्ट करने की होनी चाहिए। इसलिए स्मॉग टावर सही विकल्प नहीं खे जा सकते। इसकी बजाय वाहनों के प्रदूषण को पैदा ही न होने दिया जाए, यही सही उपाय है।
निर्माण को रोकना संभव नहीं है। यह नई चुनौतियों के अनुसार किसी शहर को ढालने का काम भी करता है तो भारी संख्या में लोगों को रोजगार भी उपलब्ध कराता है। निर्माण स्थलों से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण से थोड़ी सी अतिरिक्त सावधानी बरतकर बचा भी जा सकता है। राजधानी की हर सड़क, हर घर, हर पार्क और हर संभावित जगह को हरित अवश्य बनाया जाना चाहिए, क्योंकि प्रदूषण को ख़त्म करने का अंतिम उपाय वृक्षों के जरिए ही मिल सकता है।
सौर ऊर्जा को जितना ज्यादा बढ़ावा दिया जा सके, दुनिया को प्रदूषण से बचाने में उतनी ही ज्यादा मदद मिल सकेगी। जिस प्रकार सरकार ने बड़ी संस्थाओं के लिए जल संरक्षण के उपाय अपनाने को अनिवार्य किया है, उसी प्रकार जिन लोगों के घरों, कार्यालयों या अन्य भवनों पर पर्याप्त जगह उपलब्ध है, वहां सौर ऊर्जा प्लांट लगाना अनिवार्य किया जाना चाहिए। इससे प्रदूषण से निबटने में काफी मदद मिलेगी।
‘प्रदूषण कम करने के नाम पर केवल प्रचार करते हैं केजरीवाल’
दिल्ली भाजपा मीडिया प्रभारी नवीन जिंदल ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार पूरे वर्ष भर प्रदूषण के विरुद्ध लड़ाई के नाम पर केवल अपना प्रचार करती है। यदि वह प्रदूषण के विरुद्ध ठोस कार्य करती तो आज दिल्ली की यह स्थिति नहीं होती।
भाजपा नेता ने कहा कि सरकार ने अपने लिए कनाट प्लेस में स्मोग टावर लगवाया है जबकि जहां दिल्ली की बहुसंख्यक आबादी रहती है, उन इलाकों में प्रदूषण से निबटने के कोई स्थायी उपाय नहीं किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि सरकार जितना पैसे अपने प्रचार में खत्म करती है, उतना ही पैसा दिल्ली को साफ-सुथरी बनाने और प्रदूषण से निबटने में लगाती तो ज्यादा बेहतर परिणाम मिल सकता है।