राजस्थान के मंत्री के गजब बोल; कहा- बियर बेचो, इतने पैसे आएंगे कि नहीं हो पाएगी गिनती

कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खचारियावास ने घाटे में चल रही आरटीडीसी के लिए कहा कि बीयर पिलाओ तो घाटे से उबर जाओगे। आरटीडीसी का नाम पहले पीने और पिलाने के लिए ही मशहूर था। आरडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ के 1 साल का कार्यकाल पूरा होने पर गणगौर होटल के अंदर लोन में हुए कार्यक्रम के मंच से खाचरियावास ने यह बात बोली। तो आरटीडीसी कर्मचारी भी मंत्री के शराब प्रोत्साहन के बोल सुनकर आश्चर्य में पड़ गए।

आरटीडीसी का नाम पहले तो पीने और पिलाने के लिए ही था 
मंत्री खाचरियावास ने नसीहत देते हुए कहा-शादी ब्याह के लिए गणगौर होटल को देना चालू करो, लोग इसे बुक कर लेंगे। मुझे याद है मेरी सिस्टर की बारात भी इसी होटल में रुकी थी। उस वक्त मैं स्कूल में था, लेकिन तब गणगौर का बढ़िया नाम था। उस वक्त भैरोंसिंह शेखवात चीफ मिनिस्टर थे। वह मेरे बड़े फादर थे। उन्होंने मेरे पिताजी से कहा कि बारात को गणगौर होटल में ठहरा देते हैं।

गणगौर में तब सारी व्यवस्थाएं थीं। अभी भी यहां बार तो चलता ही होगा, आपके पास बार तो है ही, बार के बिना होटल चलता नहीं है, पीने वाले ही आते हैं ज्यादातर, तो कौन आएगा ? आरटीडीसी का नाम पहले तो पीने और पिलाने के लिए ही था। 

पहले तो बीयर आप ही बेच रहे थे, अब बीयर सरकार से वापस ले लो, तो आपका काम वैसे ही चल जाएगा। मेरी गारंटी है कि आपके पास पैसे की गिनती नहीं होगी, इतना पैसा आएगा अगर आपको पूरी बीयर मिल जाए। अगर बीयर सिर्फ आरटीडीसी बेचेगी, तो आरटीडीसी के पास बीयर की दुकानें आ जाएंगी। लेकिन होटल के दाम भी फलक्चुएट करो, तो आरटीडीसी चलेगी।

मैं यूनिवर्सिटी में था तब गौरी में आता था
खाचरियावास यहीं नहीं रुके उन्होने कहा-मैं जब यूनिवर्सिटी स्टूडेंट था, तब RTDC के  रेस्टो बार गौरी में आता था। सीजन के हिसाब से होटल की रेट में भी परिवर्तन करेंगे, तो होटल सरपट दौड़ेगा। आरटीडीसी के गणगौर होटल का पहले इतना नाम था कि लोग मेहमानों को ठहराने के लिए तरसते थे। समय के साथ आरटीडीसी ने बदलाव नहीं किया। 

आज प्राइवेट बड़े होटल वाले 10 -11 हजार रुपये का रूम ऑफ सीजन में 3000 रुपए में दे देते हैं, लेकिन आरटीडीसी का 3000 रुपए का रूम है, तो ऑफ सीजन में भी रेट नहीं हटाई जाती। उसी रेट पर रूम रेंट बना रहता है, इसलिए कस्टमर और टूरिस्ट दूसरे होटलों में चला जाता है। आप सारे रूम को खाली पड़ा रहने देते हो, बिजली खर्च होती रहती है, कर्मचारी खाली बैठे रहते हैं। इस हालात को सुधारना पड़ेगा। सीजन और मार्केट के हिसाब से चलना पड़ेगा।

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