रूस-यूक्रेन युद्ध को एक साल से ज्यादा समय हो गया है। दोनों ही देश हार मानने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में कई देश यूक्रेन के साथ हैं, जिनमें अमेरिका का नाम भी शामिल है। रूस के प्रति अपना गुस्सा जाहिर करने के लिए अमेरिका ने जीवाश्म ईंधन खरीदना बंद कर दिया था। हालांकि, इस बीच एक चौंकाने वाली मीडिया रिपोर्ट सामने आई है कि अमेरिका रूस की परमाणु एजेंसी से हर साल करीब 1 अरब डॉलर का ईंधन खरीद रहा है।
हालात बताते हैं कि अमेरिका की परमाणु ऊर्जा पर निर्भरता पहले से और बढ़ने वाली है। इसका कारण यह है कि अमेरिका में कोई भी कंपनी यूरेनियम का उत्पादन नहीं करती है। इसलिए अमेरिका को मजबूरी में रूस के साथ सौदा करना पड़ रहा है।
दरअसल, अमेरिका ने यूरेनियम का संवर्धन और उत्पादन पूरी तरह से बंद कर रखा है। उसने कभी इस तरफ ध्यान नहीं दिया था। पर अब इसकी वजह से उसे रूस के साथ सौदा करना पड़ रहा है। जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू हुआ तो अमेरिका और यूरोप ने कई प्रतिबंध लगाए। अमेरिका ने फैसला लिया कि रूस से जीवाश्म ईंधन खरीदना बंद कर देगा और वह अभी इस फैसले पर कायम है। हालांकि, जब बात यूरेनियम की आई तो अमेरिका को रूस के साथ सौदा करना पड़ा। बताया जा रहा है कि अगर यह सौदा नहीं करता तो अमेरिका खुद मुश्किल में पड़ जाता।
जानकारों की राय में, अमेरिका और यूरोप को यूरेनियम उत्पादन में आत्मनिर्भर होने में एक साल का समय लग सकता है। खास बात ये कि अमेरिका और यूरोपीय देश ही नहीं बल्कि दुनिया के करीब एक दर्जन देश अपनी आधे से अधिक ऊर्जा कंपनियों के संचालन में यूरेनियम के लिए रूस पर निर्भर हैं। रूसी परमाणु एजेंसी यूक्रेन में जापोरिज्जिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र की कमान भी संभालती है।
रोसाटॉम की सहायक कंपनियों को यूरेनियम का भुगतान किया जाता है। अमेरिका में उपयोग किए जाने वाले यूरेनियम का लगभग एक तिहाई अब दुनिया के सबसे सस्ते उत्पादक रूस से आयात किया जाता है। बाकी का ज्यादातर हिस्सा यूरोप से आयात किया जाता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में संचालित ब्रिटिश-डच-जर्मन कंसोर्टियम द्वारा एक छोटा हिस्सा तैयार किया जाता है। ओहियो प्लांट का संचालन करने वाली कंपनी का कहना है कि रोसाटॉम को टक्कर देने में उसे एक दशक से अधिक का समय लग सकता है।