धनतेरस का दिन दीपावली उत्सव की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। इस दिन को धन, समृद्धि और आरोग्य का शुभ पर्व कहा गया है। मान्यता है कि धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि, कुबेर देव और माता लक्ष्मी की आराधना करने से घर में सुख, सौभाग्य और धन की वृद्धि होती है। इसी दिन कुछ शुभ वस्तुएं—जैसे सोना, चांदी, बर्तन या अन्य सामान खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि धनतेरस पर की गई खरीदारी से घर में धन में तेरह गुना वृद्धि होती है।
इस वर्ष धनतेरस 18 अक्टूबर, शुक्रवार को मनाई जाएगी। त्रयोदशी तिथि दोपहर में प्रारंभ होगी, इसलिए इसी दिन पूजा और खरीदारी के शुभ योग बनेंगे।
धनतेरस 2025 के शुभ मुहूर्त
खरीदारी के चौघड़िया मुहूर्त:
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शुभ काल: सुबह 7:49 बजे से 9:15 बजे तक – यह समय नई खरीदारी के लिए अत्यंत अनुकूल है।
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लाभ-उन्नति काल: दोपहर 1:51 बजे से 3:18 बजे तक – व्यापार और निवेश के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त।
अन्य शुभ समय:
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अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:01 बजे से 12:48 बजे तक।
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अमृत काल: दोपहर 2:57 बजे से शाम 4:23 बजे तक।
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सोना-चांदी खरीदने का सबसे शुभ समय: दोपहर 12:18 बजे से लेकर अगले दिन सुबह 6:26 बजे तक।
धनतेरस पूजा का समय और विधि
पूजा का शुभ मुहूर्त: शाम 7:16 बजे से रात 8:20 बजे तक।
प्रदोष काल: शाम 5:48 बजे से रात 8:20 बजे तक।
पूजा के लिए सबसे पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। उत्तर-पूर्व दिशा में एक चौकी रखकर उस पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं। भगवान धन्वंतरि, कुबेर देवता और माता लक्ष्मी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। साथ में गणेश जी की प्रतिमा भी रखें।
घी का दीपक कुबेर जी के लिए और तेल का दीपक यमराज के लिए जलाएं। पूजा सामग्री में जल, फूल, फल, हल्दी, कुमकुम, अक्षत और मिठाई रखें। जो भी वस्तुएं आज खरीदी गई हों, उन्हें भी पूजा में शामिल करें।
सबसे पहले गणेश जी का पूजन करें। फिर धन्वंतरि देव को पीली मिठाई अर्पित कर ‘ॐ धन्वंतराये नमः’ मंत्र का जाप करें। इसके बाद कुबेर देव की पूजा करते हुए ‘ॐ ह्रीं कुबेराय नमः’ का जाप करें। अंत में माता लक्ष्मी की आराधना कर ‘ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः’ मंत्र का उच्चारण करें।
धनतेरस पर यमराज को दीपदान करने की परंपरा भी है। प्रदोष काल के बाद घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके तेल का दीपक जलाएं। इसे ‘यम दीप’ कहा जाता है, जो परिवार को अकाल मृत्यु के भय से रक्षा करता है।
धनतेरस का धार्मिक महत्व
पौराणिक मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान इसी दिन भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए इस दिन को धन त्रयोदशी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सोना, चांदी या धातु की वस्तुएं खरीदने से घर में वर्षभर सुख-समृद्धि बनी रहती है। साथ ही, यमराज के लिए दीपदान करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है और जीवन में शांति बनी रहती है।