भारत पिछले कुछ समय से इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) और स्वच्छ ईंधन की ओर सक्रिय रूप से बढ़ रहा है। जिसमें सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी अग्रणी भूमिका में हैं। हालांकि गडकरी ऑटोमोटिव उद्योग में स्वच्छ ऊर्जा के बड़े समर्थक रहे हैं। लेकिन हाल ही में उन्होंने अपना रुख साफ करते हुए कहा, "मैं पेट्रोल और डीजल वाहनों के खिलाफ नहीं हूं।" 

64वें ACMA वार्षिक सम्मेलन में बोलते हुए, गडकरी ने इस बात पर जोर दिया कि हालांकि वे ग्रीन फ्यूल (हरित ईंधन) में बदलाव को अनिवार्य नहीं करेंगे। लेकिन बाजार की ताकतें बदलाव को आगे बढ़ाएंगी। उन्होंने बताया कि स्वच्छ ईंधन आखिरकार ज्यादा किफायती मोबिलिटी सॉल्यूशन (गतिशीलता समाधान) देंगे। 

हालांकि पारंपरिक इंटरनल कंब्शन इंजन (ICE) वाहनों की तुलना में स्वच्छ ईंधन वाहनों की शुरुआती लागत ज्यादा हो सकती है। लेकिन कम परिचालन लागत उन्हें लंबे समय में ज्यादा लागत प्रभावी विकल्प बनाती हैं। 

क्लीन फ्यूल से कितनी होती है बचत
बजाज फ्रीडम 125 का उदाहरण देते हुए गडकरी ने बताया कि सीएनजी से चलने वाली यह बाइक पेट्रोल के लिए 1 रुपये प्रति किलोमीटर से घटकर मात्र 25 पैसे प्रति किलोमीटर रह जाती है। इसी तरह, फ्लेक्स-फ्यूल वाहन पेट्रोल से चलने वाले मॉडल की तुलना में 40 प्रतिशत बचत दे सकते हैं। और इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) 60 प्रतिशत तक ज्यादा लागत-कुशल हो सकते हैं। गडकरी के अनुसार, ये लागत लाभ आखिरकार वाहन निर्माताओं को स्वच्छ ईंधन वाले वाहनों की अपनी पेशकश बढ़ाने के लिए मजबूर करेंगे। 

नितिन गडकरी: एक मंत्री के रूप में मेरी चिंताएं
गडकरी ने इस बात पर रोशनी डाली कि भारत का 40 प्रतिशत वायु प्रदूषण परिवहन क्षेत्र से पैदा होता है, उन्होंने पूछा, "मैं इसके लिए जिम्मेदार मंत्री हूं। क्या यह अच्छा है?" उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नैतिकता, अर्थव्यवस्था, इकोलॉजी (पारिस्थितिकी) और पर्यावरण समाज की नींव बनाते हैं। उन्होंने कहा, "हमें अपनी पारिस्थितिकी को बचाने के लिए अपने देश को वायु और जल प्रदूषण से बचाना चाहिए।" उन्होंने आगे बताया कि स्वच्छ ईंधन वाले वाहन न सिर्फ उपभोक्ताओं और पर्यावरण को फायदा पहुंचाते हैं।

बल्कि राष्ट्र के व्यापक हितों की भी सेवा करते हैं। 22 लाख करोड़ रुपये के ईंधन आयात के साथ, भारत, एक कृषि प्रधान देश के रूप में, इथेनॉल जैसे स्वच्छ ईंधन विकल्पों का इस्तेमाल करके इन आयातों को कम करने की महत्वपूर्ण क्षमता रखता है। गडकरी ने सरकार के उन समाधानों पर ध्यान केंद्रित करने की बात कही जो लागत प्रभावी हों, आयात कम करें, प्रदूषण कम करें और स्वदेशी हों।

उन्होंने जोर देकर कहा कि टेक्नोलॉजी (प्रौद्योगिकी), इनोवेशन (नवाचार) और बायो-फ्यूल (जैव ईंधन) जैसे वैकल्पिक ईंधन को आगे बढ़ाना महत्वपूर्ण है। न सिर्फ रसद लागत को कम करने के लिए, बल्कि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए भी। क्योंकि अन्य देश तेजी से स्वच्छ ऊर्जा समाधानों की तलाश कर रहे हैं। उन्होंने यह कहते हुए निष्कर्ष निकाला कि जो वाहन निर्माता उचित कीमतों पर अत्याधुनिक, लागत-बचत ईंधन टेक्नोलॉजी को अपनाते हैं, वे कामयाब होंगे। हालांकि, जो इस समय शानदार बिक्री का आनंद ले रहे हैं, लेकिन नवाचार करने के लिए तैयार नहीं हैं, उन्हें चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।