बड़वानी निवासी 50 वर्षीय पुरुष के पैर पर टाइल्स गिरने से घाव हो गया था। इन्होंने अायुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को अपनाई। घाव जल्दी भरे इसलिए घाव के अास-पास इंफ्रारेड लेजर मशीन से सिकाई की जा रही है।
केस 2: इंदौर निवासी 45 वर्षीय महिला को वेरीकोज अल्सर की समस्या है जिसका उपचार वे अायुर्वेद पद्धति से करा रही है। इसके उपचार में भी इंफ्रारेड लेजर मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा है जिससे उन्हें लाभ भी हो रहा है।
ऐसे कई उदाहरण हैं जिसमें उपचार के लिए इंफ्रारेड लेजर मशीन का इस्तेमाल कर स्वास्थ्य लाभ दिया जा रहा है। अाचार्य सुश्रुत ने अायुर्वेद में जिस अग्नकर्म का उल्लेख किया है उसे इंफ्रारेड लेजर मशीन के जरिए उपयोग में लाया जा रहा है। प्राचीन उपचार पद्धति को अाधुनिक उपकरण के माध्यम से शहर के शासकीय अष्टांग अायुर्वेद कालेज में अपनाया जा रहा है जिसके सकारात्मक परिणाम भी नजर अाने लगे हैं। पांच माह पहले शहर अाई इस मशीन से करीब एक दर्जन शारीरिक व्याधियों को कम करने का प्रयास किया जा रहा है।
शहर का शासकीय अष्टांग अायुर्वेदिक कालेज प्रदेश का पहला अौर एकमात्र ऐसा शासकीय अायुर्वेद कालेज है जहां इस मशीन से उपचार किया जा रहा है। इसका उपयोग फिजियोथैरेपी अौर अापरेशन जैसे मामलों में भी किया जा रहा है। मुख्य तौर पर इससे डायबिटीज, अल्सर, वेरीकोज अल्सर, ट्रोमा एंजुरी, अधिक धूम्रपान से होने वाले घाव, जोड़ों के दर्द, कमर दर्द, सूजन अादि समस्याअों को दूर करने के लिए किया जाता है।
जल्दी भरता है घाव
शल्यक्रिया विभाग के विभागाध्यक्ष डा. अखिलेश भार्गव बताते हैं कि अग्निकर्म के जरिए अग्नि का प्रभाव प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से शरीर में पहुंचाया जाता है। सिकाई करना भी अग्निकर्म का ही अंग है। इसी सूत्र पर यह मशीन कार्य करती है। अग्नि शरीर में पहुंचाने से रक्त नलिकाएं फैलती हैं जिससे रक्त संचार बेहतर होता है अौर अाक्सीजन बेहतर ढ़ंग से मिलता है। इससे घाव से निकलने वाला रक्त रूकता है अौर घाव जल्दी भरता है। फिजियोथैरेपी प्रभारी डा. दीपेश गुप्ता के अनुसार घाव भरने, संक्रमण, दर्द को कम करने में यह लाभदायक सिद्ध हो रही है। यदि सही ढंग से इस पद्धति से उपचार किया जाए तो 30 से 40 प्रतिशत कम वक्त में रोगी को स्वास्थ्य लाभ होता है।
परिवर्तित रूप है यह मशीन
वर्तमान में अस्पताल में लो इंटेंसिटी वाली मशीन मंगाई है। फिजियोथैरेपी विभाग के अलावा इसका उपचार गंभीर घाव वाले मरीजों का उपचार किया जा रहा है। अगि्नकर्म में गोदंत, बाण, धनुशशलाका, घी, गुड़, मोम अादि से उपचार का वर्णन है। यह मशीन इसी का परिवर्तित रूप है जिसमें किरणों से उपचार होता है।