कानपुर हैलट अस्पताल में टॉयलेट में जन्मा बच्चा

कानपुर हैलट अस्पताल के वार्ड नंबर सात में भर्ती गर्भवती बुखार रोगी के टॉयलेट में डिलीवरी हो गई। बताया जा रहा है कि नवजात का सिर टॉयलेट पॉट के साइफन में फंस गया। पॉट तोड़कर बच्चे को निकाला गया। लेकिन बच्चा मर चुका था। जीएसवीएम मेडिकल कालेज के प्राचार्य प्रोफेसर संजय काला का कहना है कि बच्चा पेट में ही मर चुका था। डिलेवरी बेड पर हुई। सफाई के लिए टॉयलेट गई।

महिला के हीमोग्लोबिन छह ग्राम और प्लेटलेट्स काउंट 18 हजार है। उसे प्लेटलेट्स चढ़ाई जा रही हैं। शिवराजपुर के कंठीपुर के रहने वाले मोबीन की पत्नी हसीन जहां को बुधवार शाम हैलट इमरजेंसी में भर्ती कराया गया। उसे तेज बुखार आ रहा था। बताया गया कि पहले उसे जच्चा-बच्चा अस्पताल ले जाया गया लेकिन लेबर पेन न होने के कारण उसे बुखार के इलाज के लिए हैलट भेज दिया गया।

हैलट इमरजेंसी में उसकी स्थिति स्थिर करने के बाद वार्ड नंबर सात के बेड नंबर 42 पर शिफ्ट कर दिया गया। बुधवार रात करीब 11 बजे उसे प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। इसकी सूचना जच्चा-बच्चा अस्पताल को दी गई। इसी बीच हसीन जहां को डिलीवरी हो गई। कहा जा रहा है कि डिलीवरी पॉट पर हुई साइफन में बच्चे सिर फंस गया। कर्मचारियों ने पॉट तोड़कर बच्चे को निकाला।
 
स्त्री रोग विभागाध्यक्ष डॉ. किरन पांडेय ने बताया कि रात को हैलट से रेफरेंस आया था। रेजीडेंट वहां गई थीं। डिलीवरी के बाद परिजन बच्चे का शव लेकर चले गए। यह कहा जा रहा है कि बच्चे की मौत पॉट में फंसने से हुई। वहीं प्राचार्य डॉ. काला ने बताया कि हसीन जहां को 32 सप्ताह की डिलीवरी रही है। हेमोग्लोबिन और प्लेटलेट्स कम होने से शिशु की मौत गर्भ में ही हो गई। हसीन जहां को प्लेटलेटस आदि चढ़ाई गई हैं। उसकी स्थिति ठीक है। वहीं मोबीन ने शिकायत की कि उसकी पत्नी को डाक्टरों ने ढंग से नहीं देखा।  

रोगी के  पहले भी दो बच्चों की हुई मौत
मेडिकल कालेज की उप प्राचार्य डॉ. रिचा गिरि ने बताया कि हसीन जहां के यह पांचवीं डिलीवरी हुई है। उसके एक पांच और एक साढ़े तीन साल का बच्चा है। डेढ़ साल पहले डिलीवरी हुई लेकिन बच्चे की मौत हो गई। इसके बाद एक साल पहले भी डिलीवरी हुई। इसमें भी बच्चे की मौत हो गई थी।   

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