धान को हरियाणा ले जाने पर रोक !

समाचार है कि एक सप्ताह के भीतर पश्चिमी उत्तर प्रदेश से हरियाणा बिक्री के लिए धान ले जाने पर दूसरी बार हंगामा हो गया। हरियाणा कृषि विपणन बोर्ड ने उ.प्र. के धान की खरीद पर रोक लगाई हुई है। शामली क्षेत्र के किसान हरियाणा में इस लिए धान बेचना चाहते है कि वहां धान का मूल्य अधिक मिलता है लेकिन विपणन बोर्ड इस की इजाजत नहीं देता।

हरियाणा में बहुत बड़ी संख्या में धान मिल हैं और वहां से बड़ी मात्रा में चावल निर्यात होता है इस लिए वहां धान ऊंची कीमत पर खरीदा जाता है। उत्तरप्रदेश से धान आने पर मंडी में मूल्य गिराता है और हरियाणा के किसान को हानि पहुंचती है, अतः वहाँ की सरकार उत्तर प्रदेश के धान पर पाबन्दी लगा देती है। यह सिलसिला अनेक दशकों से चल रहा है। वर्षों पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान नेता बाबू हुकुम सिंह ने इसका प्रबल विरोध किया था और बार्डर पर लगे बेरियर उखाड़ कर नदी में डाल दिये थे।

तीन कृषि कानूनों में यह पाबन्दी हटाने का प्रावधान था और किसान को अपना उत्पादन पूरे भारत में कहीं भी बेचने की छूट मिलने वाली थी किन्तु स्वार्थी किसान नेताओं ने किसानों को गुमराह किया। आज वे ही जाम और हंगामे की राजनीति कर रहे हैं। इन्हें हर स्थिति में हंगामा बरपा करना है जिसमें वे लगे हुए है। इन हथकंडों से किसान का कितना भला होगा, यह तो किसान स्वयं सोचे।

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’

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