अनादि काल से भारतवासी भगवन श्रीराम को विष्णु के 7वें अवतार मानकर पूजते आ रहे हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम राम भारत और भारतीय संस्कृति का आधारभूत तत्व हैं। इन से पृथक होकर भारत की कल्पना हो ही नहीं सकती। संसार भर के 400 से अधिक लेखकों, शायरों व कवियों ने अपनी रचनाओं में अपने-अपने तरीके से और अपनी शैली में भिन्न-भिन्न भाषाओं में राम का गुणगान किया है।
‘नक़्शे-तहज़ीबे-हुनूद अब भी नुमायां है अगर, तो वो सीता से है, लक्ष्मण से है और राम से है।’ (ज़फ़र अली खां)
निर्गुण के उपासक कबीर भी राम को अपने हिसाब से मानते हैं-
‘एक राम दशरथ का बेटा, एक राम घट घट पर बैठा। एक राम का सकल पसारा, एक राम त्रिभुवन से न्यारा।।’
‘कबीर’ बन बन में फिरा, कारणि अपणैं राम।
राम सरीखे जन मिले, तिन सारे सबरे काम।।
आज प्रकोटत्सव पर रामनवमी के दिन हम प्रभु श्रीराम के चरणों में नमन् ही कर सकते हैं, उन पर लिखना सामर्थ्य से परे है, बकौल शम्सी मीनाई के-
मैं राम पर लिखूं मेरी हिम्मत कहीं है कुछ,
तुलसी ने बाल्मीकि ने छोड़ा नहीं है कुछ।।
सवाल है राम के अस्तित्व को इन्होंने नकार क्यों दिया? जबानी कुछ नहीं। कपिल सिब्बल का तो हलफनामा कोर्ट में दाखिल है। भारत के संविधान के मुख पृष्ठ पर श्रीराम दरबार का मनोहर चित्र सुशोभित है। जिन महात्मा गांधी को आपने राष्ट्रपिता बनाया, उनकी समाधि पर ‘हे राम!’ अंकित है और आपको रामलला के मन्दिर जाने पर भी ऐतराज है! जो एम. के. स्टालिन श्रीराम और अन्य हिन्दू देवताओं की प्रतिमाओं व चित्रों को झाडू से पीटने वाले पेरियार को खानदानी गुरु मानते हैं, राहुल उसके साथ मंच साझा करते हैं।
राहुल ने कल ही वायनाड में कहा कि अयोध्या के प्राणप्रतिष्ठा समारोह में मोदी ने आदिवासियों का अपमान करने के लिए राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु को आमंत्रित नहीं किया था, इसलिए उन्होंने प्राणप्रतिष्ठा समारोह का बहिष्कार किया।
राहुल के इस बयान को 15 अप्रैल, 2024 को रिलीज किया गया। इस झूठ के प्रपंच पर कोई यकीन करने वाला नहीं, क्योंकि असलियत से पूरा देश वाक़िफ़ है।
प्राणप्रतिष्ठा समारोह को लेकर झूठ बोलने और लोगों को बरगलाने में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी राहुल से पीछे नहीं रहे। 15 अप्रैल को एक चुनावी सभा में कहा- मोदी के इशारे पर अयोध्या के राम मंदिर में दलितों का प्रवेश बन्द है। जिस मन्दिर में दलितों का प्रवेश बन्द है, वहां हम कैसे जाते?
इन कांग्रेसियों के लिए झूठ की कोई सीमा नहीं रही। लगता है प्रभु ने इनकी मति भ्रष्ट कर दी है- “जाको प्रभु दारुण दुःख देई। ताकि मति पहले हर लेई।।”
लेकिन हम तो श्रीराम जन्मोत्सव पर प्रार्थना करते हैं कि भगवान इनको सद्बुद्धि प्रदान करें।
गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’