कचौड़ी, समोसा और जलेबी के बड़े दुकानदार भी जीएसटी विभाग के रडार पर

गोरखपुर शहर में कचौड़ी, जलेबी, समोसा और चाट-टिकिया बेचने वाले बड़े दुकानदार भी वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विभाग के रडार पर हैं। विभाग की टीम ने दो सप्ताह में गोरखपुर मंडल में 200 से ज्यादा दुकानों पर रेकी करके टैक्स चोरी के साक्ष्य जुटाए हैं। साथ ही ठेकेदार और बिल्डरों पर भी शिकंजा कसने की तैयारी है।

जीएसटी विभाग की विशेष अनुसंधान शाखा (एसआईबी) के एक डिप्टी कमिश्नर (उपायुक्त) ने अपनी टीम के साथ ग्राहक बनकर शहर के प्रमुख बाजारों की बड़ी दुकानों पर जांच पड़ताल की है। टीम के सदस्य ग्राहक बनकर दुकानों पर गए और पूरी प्रक्रिया को समझा। टीम के सदस्यों ने खाने के लिए जलेबी और कचौड़ी ली।

दुकानदार को भुगतान किया तो उसने रसीद नहीं दी। इस प्रक्रिया को मोबाइल से वीडियो बना लिया। इसकी पुष्टि टीम के अधिकारी ने की है। उन्होंने बताया कि करीब 15 मिनट में 9 लोगों को दुकानदार ने सामान बेचा, लेकिन भुगतान के बदले रसीद नहीं दी। उन्होंने बताया कि ठेकेदार और बड़े बिल्डरों पर भी नजर है।

ऐसे खुला ठेकेदारों का मामला

जीएसटी टीम के अधिकारी ने बताया कि मान लो मोहित (काल्पनिक नाम) एक ठेकेदार है। इनको सड़क बनवाने के लिए एक करोड़ रुपये का ठेका मिला है। इस धनराशि पर इन्हें 18 लाख रुपये जीएसटी देना होगा, लेकिन ठेकेदार इस काम के लिए गाड़ी खरीदता है और इनकम टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) ले लेता है। इसी में गड़बड़ी की शिकायत मिली है। बड़े भवनों या अपार्टमेंट बनवाने में लिए गए सामानों पर बिना सामान खरीदे पर्ची बनवा ली जाती है। जब जांच की गई है कि सामान कैसे और किस गाड़ी से आए तो लापरवाही मिली।

इस तरह कर चोरी करते हैं दुकानदार
शहर में कई जगहों पर सुबह छह से 11 बजे तक जलेबी और कचौड़ी की दुकानें लगती हैं। ऐसे दुकानदार ग्राहकों से नकद में लेनदेन करते हैं। ऐसे दुकानदारों के कूड़ेदान में एकत्र पत्तल देखकर उनके व्यापार और कर चोरी की गणना की जाती है। दुकान पंजीकृत है, लेकिन बेचने वाले बहुत कुछ छिपा लेते हैं। इसके अलावा, छोला भटूरा, डोसा, इडली, मिल्क सेक, चाट-टिकिया जैसी दुकानों पर भी दिनभर भीड़ लगी रहती है। ये दुकानदार ग्राहकों को टोकन देकर खाने वाले सामान का शुल्क लेते हैं। इस वजह से बिक्री की गई सामग्री का उल्लेख जीएसटी में नहीं दिखता है।

सोशल मीडिया पर प्रचार करने वालों पर भी नजर
सूत्रों के अनुसार, शहर के साथ ग्रामीण इलाकों में बहुत से नए होटल और रेस्टोरेंट खुले हैं। ऐसे लोग अपना प्रचार-प्रसार सोशल मीडिया पर करते हैं, लेकिन पंजीकरण नहीं करवाए हैं। ये प्रतिष्ठान जीएसटी विभाग के निशाने पर हैं। इन प्रतिष्ठानों की सूची तैयार की गई है।

जीएसटी एडिशनल कमिश्नर- ग्रेड 2 देवमणि शर्मा ने कहा कि गैर पंजीकृत प्रतिष्ठानों को सरकार के नियमों के अनुसार टैक्स जमा करना होगा। नौकरी पेशा लोग समय से कर का भुगतान कर देते हैं। जीएसटी की एसआईबी टीम अपना काम करती है। जैसे-जैसे टीम के पास सूचनाएं आती हैं, वह भौतिक परीक्षण करती है। इस बीच कुछ कर चोरी करने वालों को चिह्नित किया गया है।

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