बागी विधायकों पर भाजपा की ओर से दावा: हमारा इससे कोई लेना देना नहीं है

महाराष्ट्र में राजनीतिक हलचल के बीच तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के 35 से ज्यादा विधायक बागी हो चुके हैं। यही कारण है कि कहीं ना कहीं महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले महा विकास आघाडी की सरकार खतरे में दिखाई दे रही है। भले ही विपक्ष इन तमाम बातों के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहरा रहा हो, लेकिन भगवा पार्टी फिलहाल वेट एंड वॉच की पॉलिसी में काम करती दिखाई दे रही है। पिछले 3 दिनों से मच्छी सियासी हलचल के बावजूद भाजपा में कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई है और ना ही उसकी तरफ से इस संकट पर कोई बहुत बड़ा बयान सामने आया है। हालांकि देवेंद्र फडणवीस के घर पर लगातार भाजपा की बैठक चल रही है।

भले ही पहले बागी विधायक सूरत गए बाद में उन्हें गुवाहाटी ले जाया गया। यह दोनों जगह भाजपा शासित राज्य में आते हैं। बावजूद इसके भाजपा की ओर से दावा किया जाता रहा है कि हमें इस से कोई लेना देना नहीं है। हालांकि, पहली बार अब भाजपा की ओर से कोई बड़ा नेता इन तमाम मसलों पर अपनी बात रखी है। गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने साफ तौर पर कहा कि महाराष्ट्र की घटनाक्रम पर हमारे नेतृत्व की नजर है। न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक उन्होंने कहा कि हमारे महाराष्ट्र के नेता देवेंद्र फडणवीस और हमारे सभी केंद्रीय नेता इस पर नजर रखे हुए हैं। वह (देवेंद्र फडणवीस) राज्य के हित में निर्णय लेने में सक्षम हैं।

उद्धव को पत्र

शिवसेना के बागी विधायक संजय शिरसाट ने मुख्यमंत्री एवं पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर दावा किया कि शिवसेना विधायक ढाई साल से ‘अपमान’ का सामना कर रहे थे जिसके चलते मंत्री एकनाथ शिंदे ने पार्टी नेतृत्व के खिलाफ जाने का कदम उठाया। औरंगाबाद (पश्चिम) से विधायक शिरसाट ने 22 जून को लिखे पत्र में दावा किया कि शिवसेना के सत्ता में होने और उसका अपना मुख्यमंत्री होने के बावजूद, ठाकरे के आसपास की मंडली ने उन्हें कभी भी वर्षा तक पहुंचने नहीं दिया। ‘वर्षा’ मुख्यमंत्री का आधिकारिक आवास है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय जाने का तो सवाल ही नहीं था, क्योंकि वहां मुख्यमंत्री कभी नहीं आए। पत्र को शिंदे ने अपने ट्विटर पेज पर पोस्ट किया है, जिसमें दावा किया गया है कि ये शिवसेना के विधायकों की भावनाएं हैं। पत्र में शिरसाट ने कहा कि एकनाथ शिंदे ने पार्टी के विधायकों की शिकायतें, उनके निर्वाचन क्षेत्रों में विकास कार्यों और निधि से जुड़े मामलों के बारे में उनकी बात सुनी, साथ ही सहयोगी कांग्रेस और राकांपा के साथ उनकी समस्याओं को भी सुना।

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