चीन से सीमा विवाद: भारतीय सेना सर्दी की चुनौतियों को तैयार

वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत-चीन तनाव के बीच इंडियन आर्मी ने विंटर्स की तैयारियां भी पूरी कर ली है. इंडियन आर्मी और इंडियन एयरफोर्स ने मिलकर नॉर्दर्न सेक्टर यानी लद्दाख एरिया में लॉजिस्टिक्स सप्लाई मजबूत करने के लिए एयरलिफ्ट एक्सरसाइज की. इस एक्सरसाइज का नाम ऑपरेशन हरकुलस था और यह 15 नवंबर को की गई.

एलएसी का इलाका सर्दियों में 4-5 महीने के लिए देश के दूसरे हिस्सों से कट जाता है. इस दौरान फोर्स के लिए जरूरत का पूरा सामान स्टॉक करना होता है. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक इस एयरलिफ्ट एक्सरसाइज में इंडियन एयरफोर्स के ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट C-17, IL-76 और An-32 शामिल थे. इन एयरक्राफ्ट ने वेस्टर्न एयर कमांड के एक फॉरवर्ड बेस से उड़ान भरी. यह एक्सरसाइज इंडियन एयरफोर्स की हेवी लिफ्ट कैपेबिलिटी का भी प्रदर्शन था. जो किसी भी हालात में क्विक रिस्पॉन्स कर सकती है.

ईस्टर्न लद्दाख में पैंगोंग एरिया के उत्तरी और दक्षिणी किनारे के अलावा गोगरा में तो भारत और चीन की सेना के बीच डिसइंगेजमेंट हो गया. लेकिन हॉट स्प्रिंग एरिया पर सहमति नहीं बन पाई. इसके अलावा डेपसॉग और डेमचॉक में भी विवाद है. सितंबर में भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की 13 वें दौर की मीटिंग हुई. इस मीटिंग में चीन का अड़ियल रवैया रहा. जिसके बाद यह साफ हो गया कि पिछली सर्दियों की तरह इस सर्दी में भी एलएसी पर तनाव की गर्माहट बनी रहेगी.

लद्दाख में सेना और अधिक M777 तोपों को करेगी तैनात

लद्दाख में चीन के साथ जारी सीमा विवाद के बीच भारतीय सेना और अधिक M777 अल्ट्रा-लाइट होवित्जर के साथ अपनी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए तैयार है. मामले से जुड़े लोगों ने रविवार को कहा कि इसे तेजी से पहाड़ों में तैनात किया जा सकता है. भारत ने नवंबर 2016 में 75 करोड़ डॉलर में अमेरिका से 145 होवित्जर का ऑर्डर दिया था. जून 2022 तक सेना को 56 और M777 मिलेंगे. अब तक 89 होवित्जर डिलीवर किए जा चुके हैं.

सेना ने लद्दाख (Ladakh) में M777 तैनात किए हैं, जहां भारत और चीन 18 महीने से अधिक समय से सीमा रेखा में बंद हैं. वहीं अरुणाचल प्रदेश में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं. M777 के निर्माता बीएई सिस्टम्स ने 25 तैयार होवित्जर वितरित किए हैं और बाकी मोदी सरकार की मेक इन इंडिया पहल के तहत महिंद्रा डिफेंस के सहयोग से स्थानीय स्तर पर बनाए जा रहे हैं.

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