प्रशासनिक संवेदनहीनता की क्रूरतम मिसाल !

कानपुर देहात की मैथा तहसील के चाहला गांव में सोमवार को जो कुछ हुआ वह प्रशासनतंत्र की संवेदनहीनता, लापरवाही, घूसखोरी के प्रचलन तथा जन प्रतिनिधियों को धोखा व झांसा देकर वरिष्ठ अधिकारियों की तानाशाही जारी रहने की प्रवृत्ति की क्रूरतम मिसा‌ल है।

हर व्यक्ति इस कड़वी सच्चाई से वाकिफ हैं कि उत्तरप्रदेश में कोई गांव ऐसा नहीं है जहां प्रभावशाली, दबंग, बाहुबलियों ने पंचायती, गरीबों और नहर व जंगलात विभागों, तालाबों-पोखरों पर कब्जा न कर रखा हो। जाहे किसी भी राजनीतिक दल की सरकार हो, इस समस्या को पूरी तरह हल नहीं कर पाई है। अलबत्ता योगी आदित्यनाथ की सरकार ने अभियान चला कर अब तक 64 हजार एकड़ अवैध कब्जों की भूमि बड़े भूमाफियाओं के पंजों से मुक्त कराई है।

किन्तु मंडौली ग्राम में जो काली करतूत हुई उसकी कहानी और कुछ है। जैसा कि सर्वविदित है कि हर गांव में भूमि पर अवैध कब्जे है, इसी तरह लोग यह भी जानते हैं कि हर गांव में गुटबन्दी और एक दूसरे का विरोध भी चलता है। चाहला गांव के निवासी गौरव दीक्षित ने लेखपाल से शिकायत की कि कृष्ण गोपाल दीक्षित ने ग्राम समाज मड़ौली की जमीन पर अवैध कब्जा कर मकान बना लिया है। कुछ ग्रामीणों ने कैमरे पर आकर साफ कहा कि गौरव दीक्षित ने लेखपाल अशोक सिंह को रिश्वत दी। लेखपाल की रिपोर्ट पर के.के दीक्षित का पक्का मकान एक महीने पहले बुलडोजर के जरिये ढहा दिया गया।

सिर पर छत न रहने से परिवार और पालतू गाय, बकरियों के लिए उन्होंने फूस की झोपड़ी डाल ली। के. के. दीक्षित का बड़ा लड़का कुछ ग्रामीणों को साथ लेकर जिला अधिकारी नेहा जैन से मिला और मकान ढहाने की सूचना उन्हें दी। क्षेत्रीय विधायक और योगी सरकार में राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला गांव में आई और डी. एम नेहा जैन को न्याय करने को कहा।

सोमवार को लेखपाल एस.डी.एम ज्ञानेश्वर प्रसाद व रूरा थाने की पुलिस को लेकर गांव पहुंचा। पीड़ित परिवार तथा प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि लेखपाल अशोक सिंह ने झोपड़ी में खुद आग लगाई और जेसीबी चालक दीपक को झोपड़ी गिराने का आदेश दिया। आग लगने पर के.के. दीक्षित, उनके बेटे, पालतू पशु छप्पर के नीचे से निकल आये किन्तु उनकी पत्नी प्रमिला व पुत्री नेहा झोपड़ी से निकल न सकीं और जीवित ही जल मरी। कई ग्रामीणों ने कहा कि हम मां-बेटी को जलती झोपडी से बाहर निकालना चाह रहे थे किन्तु एस.डी.एम. ज्ञानेश्वर प्रसाद व रुरा थाना पुलिस ने उन्हें झोपड़ी के पास फटकने नहीं दिया। घटना के बाद गुस्साये ग्रामीणों ने दोनों मृतकों का अंतिम संस्कार करने से इंकार कर दिया था।

राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला ने दुःखी मन से कहा कि डी. एम. के आश्वासन के बाद मैं आश्वस्थ थी कि के.के.दीक्षित के साथ न्याय होगा। इस कांड से मैं बहुत आहत हूं। दो निर्दोशों की जघन्य हत्या हो गई और मैं जन प्रतिनिधि रहते हुए उन्हें बचा न पाई। राज्यमंत्री ने कहा- मेरा जन प्रतिनिधि रह‌ना बेकार गया। वे जिला अधिकारी और राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली से बहुत खिन्न दिखाई दीं। इस बीच जिला अधिकारी नेहा जैन का वीडियो वायरल हुआ है। जिस दिन यह हृदय विदारक घटना हुई, उसी दिन शाम को वे कानपुर में महोत्सव के स्टेज पर नाच के ठुमके लगाते दिखाई दे रही है।

मुख्यमंत्री योगी का यह दूसरा कार्यकाल है। उन्हें लापरवाह, असंवेदनशील व भ्रष्ट नौकरशाही की नाकों में सख्ती से नकेल डालनी होगी। विपक्ष आदत के मुताबिक उन पर ब्राह्मणों के उत्पीड़न का आरोप मढ़ रहा है किन्तु विपक्ष की यह मांग उचित है कि कानपुर देहात की जिला अधिकारी को भी दंडित किया जाए। न्याय की दृष्टि से यह होना ही चाहिए।

गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’

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