आगामी शादी सीजन देश की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा अवसर लेकर आ रहा है। एक दिसंबर से 14 दिसंबर के बीच देशभर में करीब 46 लाख शादियों के होने का अनुमान है, जिससे लगभग 6.5 लाख करोड़ रुपये का व्यवसाय उत्पन्न होने की संभावना जताई गई है।
यह आकलन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) की अनुसंधान इकाई कैट रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसाइटी ने किया है। संगठन के राष्ट्रीय महामंत्री और चांदनी चौक से सांसद प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि यह अध्ययन देश के 75 प्रमुख शहरों में 15 से 25 अक्तूबर के बीच किया गया था।
खंडेलवाल के अनुसार, भारत की “वेडिंग इकॉनमी” अब घरेलू व्यापार का एक अहम स्तंभ बन चुकी है। इसमें परंपरा, आधुनिकता और स्थानीय उद्यमिता का संतुलन झलकता है। पिछले वर्षों की तुलना में इस वर्ष कारोबार में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिलेगी — 2024 में 5.9 लाख करोड़, 2023 में 4.74 लाख करोड़ और 2022 में 3.75 लाख करोड़ रुपये का वेडिंग कारोबार दर्ज किया गया था।
दिल्ली में 4.8 लाख शादियां, 1.8 लाख करोड़ का बिजनेस
अध्ययन में बताया गया कि केवल दिल्ली में इस सीजन के दौरान करीब 4.8 लाख शादियां होंगी, जिससे 1.8 लाख करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार होने की उम्मीद है। राजधानी में आभूषण, फैशन और विवाह स्थलों (वेन्यू) पर सर्वाधिक खर्च देखा जा रहा है।
वहीं, राजस्थान और गुजरात में डेस्टिनेशन वेडिंग्स का चलन बढ़ा है, जबकि उत्तर प्रदेश और पंजाब में पारंपरिक सजावट और कैटरिंग सेवाओं पर अधिक खर्च किया जा रहा है।
भारतीय उत्पादों का दबदबा
कैट के अनुसार, इस बार शादी से जुड़ा लगभग 70 प्रतिशत सामान घरेलू निर्माण का होगा। परिधान, आभूषण, डेकोरेशन, बर्तन और कैटरिंग से जुड़े उत्पादों में मेड इन इंडिया ब्रांड्स का दबदबा रहेगा।
खंडेलवाल ने बताया कि “वोकल फॉर लोकल वेडिंग्स” अभियान से आयातित वस्तुओं — जैसे चीनी लाइट्स, कृत्रिम फूल और गिफ्ट आइटम्स — की हिस्सेदारी में उल्लेखनीय कमी आई है।
सरकार को 75,000 करोड़ का टैक्स और 1 करोड़ रोजगार
कैट के मुताबिक, इस शादी सीजन से केंद्र और राज्य सरकारों को लगभग 75,000 करोड़ रुपये का टैक्स राजस्व प्राप्त होने की संभावना है।
इसके अलावा, इस दौरान एक करोड़ से अधिक अस्थायी और अंशकालिक रोजगार भी सृजित होंगे, जिनमें कैटरिंग, सजावट, परिवहन, लॉजिस्टिक्स और हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र को विशेष लाभ मिलेगा।
खंडेलवाल ने कहा कि भारतीय शादी अब सिर्फ सांस्कृतिक पर्व नहीं रही, बल्कि रोजगार, व्यापार और उद्यमिता का मजबूत इंजन बन चुकी है।