केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को देश के बुनियादी ढांचे और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए चार बड़ी परियोजनाओं को मंजूरी दी, जिन पर कुल ₹10,919 करोड़ खर्च होंगे। इसमें सबसे बड़ी योजना ₹7,280 करोड़ की दुर्लभ पृथ्वी स्थायी मैग्नेट उत्पादन परियोजना है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों और रक्षा उद्योग के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इसके अलावा, पुणे मेट्रो विस्तार के लिए ₹1,858 करोड़, देवभूमि द्वारका (ओखा)-कनालस रेलवे लाइन डबल ट्रैकिंग के लिए ₹1,457 करोड़ और बदलापुर-कर्जत तीसरी-चौथी रेलवे लाइन के लिए ₹1,324 करोड़ मंजूर किए गए।
दुर्लभ पृथ्वी मैगनेट योजना
केंद्र ने Rare Earth Permanent Magnets योजना के लिए 7,280 करोड़ रुपये का आवंटन किया है, जो पहले के 2,500 करोड़ के अनुमान से लगभग तीन गुना अधिक है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब चीन ने वैश्विक दुर्लभ पृथ्वी कच्चे माल और प्रोसेसिंग पर नियंत्रण कड़ा कर दिया है। दुर्लभ पृथ्वी तत्व इलेक्ट्रिक वाहनों, नवीकरणीय ऊर्जा और रक्षा उपकरणों के निर्माण में इस्तेमाल होते हैं, और भारत इस क्षेत्र में अभी तक सीमित निवेश और तकनीकी विशेषज्ञता का सामना कर रहा है।
चीन का दबाव और भारत की तैयारी
चीन वैश्विक आपूर्ति का 60-70% और प्रोसेसिंग का 90% नियंत्रित करता है। हाल ही में भारत ने Rare Earth मैगनेट सप्लाई चेन विकसित करने की गति तेज कर दी है। सरकार ने सिंक्रोनस रिलक्टेंस मोटर्स और अन्य तकनीकों पर अध्ययन के लिए फंडिंग बढ़ाई है, ताकि भविष्य में विदेशी निर्भरता कम हो सके। वित्त वर्ष 2023-24 में भारत ने 2,270 टन दुर्लभ पृथ्वी धातु और यौगिक आयात किए, जिसमें 65% से अधिक चीन से आया।
इस परियोजना से न केवल घरेलू उत्पादन बढ़ेगा बल्कि भारत की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में स्थिति भी मजबूत होगी।