प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा 7,500 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क किए जाने के बाद अनिल अंबानी समूह ने स्पष्ट किया है कि इस कार्रवाई का उनकी सूचीबद्ध कंपनियों के व्यावसायिक संचालन पर कोई असर नहीं पड़ा है। समूह ने मंगलवार को जारी बयान में कहा कि रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड और रिलायंस पावर लिमिटेड पहले की तरह सामान्य रूप से काम कर रही हैं और अपने विकास, परिचालन उत्कृष्टता तथा शेयरधारकों के हितों पर केंद्रित हैं।

ईडी ने धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत 31 अक्टूबर को चार अलग-अलग आदेश जारी कर कुल 42 संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया था। इनमें मुंबई के पाली हिल स्थित अनिल अंबानी के पारिवारिक आवास सहित समूह की अन्य आवासीय और वाणिज्यिक संपत्तियां शामिल हैं। यह कार्रवाई रिलायंस कम्युनिकेशंस और उसकी सहयोगी कंपनियों से जुड़े उन मामलों के संबंध में की गई है, जिनमें 2017 से 2019 के बीच यस बैंक से लिए गए ऋणों के कथित दुरुपयोग के आरोप हैं।

समूह की ओर से कहा गया कि कुर्क की गई अधिकांश संपत्तियां रिलायंस कम्युनिकेशंस की हैं, जो 2019 से कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (CIRP) के अधीन है और अब रिलायंस समूह का हिस्सा नहीं है। कंपनी का नियंत्रण वर्तमान में समाधान पेशेवर (RP) और भारतीय स्टेट बैंक की अगुवाई वाली ऋणदाताओं की समिति (CoC) के पास है।

रिलायंस समूह ने यह भी स्पष्ट किया कि अनिल डी. अंबानी का रिलायंस कम्युनिकेशंस से छह वर्ष पूर्व ही संबंध समाप्त हो चुका है। उन्होंने 2019 में कंपनी से इस्तीफा दे दिया था और वे पिछले साढ़े तीन साल से न तो रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर और न ही रिलायंस पावर के बोर्ड में शामिल हैं।

समूह ने कहा कि उनकी सभी कंपनियां सामान्य रूप से संचालित हो रही हैं और यह कार्रवाई उनके भविष्य की योजनाओं या संचालन पर किसी प्रकार का प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालेगी।