दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने ऑनलाइन रियल मनी गेमिंग प्लेटफॉर्म विंजो के संस्थापक सौम्या सिंह राठौर और पावन नंदा को मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोपों के तहत गिरफ्तार किया है। अधिकारियों ने बताया कि दोनों को बुधवार को बंगलुरू स्थित ईडी के जोनल कार्यालय में पूछताछ के बाद हिरासत में लिया गया।
गिरफ्तारी के बाद दोनों को उसी रात बंगलुरू की स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें एक दिन की ईडी कस्टडी में भेज दिया गया। उम्मीद है कि गुरुवार को उन्हें फिर से अदालत में पेश किया जाएगा, जिसके बाद विस्तृत आदेश जारी किया जा सकता है।
आरोप और जांच का विवरण
ईडी ने आरोप लगाया है कि विंजो ने खिलाड़ियों के लगभग 43 करोड़ रुपये रोककर रखे थे, जबकि यह राशि देश में रियल मनी गेमिंग पर प्रतिबंध लगने के बाद खिलाड़ियों को लौटाई जानी थी।
इसके अलावा, ईडी ने पिछले सप्ताह धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत विंजो और गेमजक्राफ्ट के ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस दौरान कंपनियों और उनके प्रमोटर्स से जुड़े कई स्थानों की तलाशी ली गई और वित्तीय दस्तावेज़ जब्त किए गए।
एजेंसी का दावा है कि विंजो ने ग्राहकों को यह जानकारी नहीं दी कि वे वास्तविक इंसानों के बजाय सॉफ्टवेयर के साथ खेल रहे थे। इसके तहत प्लेटफॉर्म भारत से ब्राजील, अमेरिका और जर्मनी जैसे देशों में संचालन कर रहा था। जांच में पता चला कि विंजो के पास 505 करोड़ रुपये मूल्य के बॉन्ड, फिक्स्ड डिपॉजिट और म्यूचुअल फंड थे, जिन्हें पीएमएलए के तहत फ्रीज कर दिया गया है।
कंपनी की प्रतिक्रिया
विंजो के एक प्रवक्ता ने कहा कि प्लेटफॉर्म का संचालन निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से किया जाता है और सभी लागू नियमों का पालन किया जा रहा है। कंपनी ने यह भी कहा कि उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा और भरोसेमंद अनुभव सुनिश्चित करना उनकी प्राथमिकता है।
अन्य गंभीर आरोप
ईडी का कहना है कि विंजो ने खिलाड़ियों के वॉलेट से राशि की निकासी रोकने के अलावा एल्गोरिदम और सॉफ्टवेयर का अनैतिक इस्तेमाल कर वास्तविक दांवों से उत्पन्न राशि को अवैध रूप से अपने लाभ में शामिल किया। जांच में यह भी सामने आया कि कंपनी का वैश्विक संचालन एक ही ऐप से होता था, जिसका होस्टिंग प्लेटफॉर्म भारत में स्थित था। भारतीय इकाई के फंड्स को अमेरिका और सिंगापुर में भेजा गया।
ईडी का दावा है कि अमेरिका स्थित बैंक खाते में लगभग 55 मिलियन डॉलर (₹489.90 करोड़) जमा पाए गए, जबकि कंपनी भारत से ही संचालित हो रही थी। इसी तरह गेमजक्राफ्ट के खिलाफ भी वित्तीय अनियमितताओं और फंड डायवर्जन के आरोप लगाए गए हैं।