भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर डॉ. उर्जित पटेल को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर नियुक्त किया गया है। केंद्र सरकार ने उन्हें तीन साल की अवधि के लिए इस पद की जिम्मेदारी सौंपी है। डॉ. पटेल को भारत की मौद्रिक नीति में इन्फ्लेशन-टार्गेटिंग फ्रेमवर्क लागू करने के लिए खास तौर पर जाना जाता है।
यह नियुक्ति ऐसे समय पर हुई है जब केंद्र ने 30 अप्रैल को एक आदेश जारी कर IMF में भारत के तत्कालीन ED कृष्णमूर्ति वी. सुब्रमण्यन का कार्यकाल अचानक समाप्त कर दिया था, जबकि उनका टर्म छह महीने और बाकी था।
उर्जित पटेल ने 2016 में रघुराम राजन के बाद RBI के 24वें गवर्नर का पद संभाला था। 2018 में उन्होंने निजी कारणों से इस्तीफा दे दिया। इस तरह वे 1992 के बाद सबसे कम कार्यकाल वाले गवर्नर रहे।
भारत के लिए अहम क्यों है यह पद
भारत ने अक्सर IMF द्वारा पाकिस्तान को दिए जाने वाले बेलआउट पैकेज पर आपत्ति जताई है। भारत का मानना है कि इस तरह की आर्थिक मदद का उपयोग पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद और रक्षा खर्चों के लिए कर सकता है। हाल ही में IMF बोर्ड ने पाकिस्तान को 7 अरब डॉलर के पैकेज के तहत 1 अरब डॉलर की किस्त जारी की है। इसके साथ ही जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए 1.4 अरब डॉलर की क्रेडिट लाइन को भी मंजूरी दी गई है।
गीता गोपीनाथ का कार्यकाल पूरा
इसी बीच, भारतीय मूल की अमेरिकी अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ का भी IMF में कार्यकाल समाप्त हो गया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि सात वर्षों की यह यात्रा यादगार रही। उन्होंने संस्था और अपने सहकर्मियों के सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया।