सरकार सकल घरेलू उत्पाद (GDP) और औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) के लिए वर्ष 2022-23, जबकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के लिए वर्ष 2024 को नया आधार वर्ष बनाने की प्रक्रिया में है। यह जानकारी बुधवार को संसद में दी गई। वर्तमान में GDP और IIP की गणना 2011-12 को, जबकि CPI की गणना 2012 को आधार मानकर की जाती है।

क्या होता है आधार वर्ष?
आधार वर्ष वह समय-चक्र होता है जिससे तुलना करके किसी आर्थिक संकेतक में समयानुसार बदलाव को मापा जाता है। यह आर्थिक आंकड़ों के आकलन में एक मानक संदर्भ बिंदु के रूप में कार्य करता है, जिससे यह समझा जा सकता है कि विभिन्न अवधियों में व्यावसायिक गतिविधियों में क्या उतार-चढ़ाव हुआ है।

सरंचनात्मक बदलावों को ध्यान में रख होता है संशोधन
सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन राज्य मंत्री ने लोकसभा में बताया कि मंत्रालय GDP, IIP और CPI के लिए आधार वर्ष बदलने की प्रक्रिया में जुटा है। उन्होंने कहा कि समय के साथ अर्थव्यवस्था में आने वाले ढांचागत परिवर्तनों को सटीक रूप में दर्शाने के लिए आधार वर्षों को समय-समय पर संशोधित करना आवश्यक होता है। इसके तहत न केवल आंकड़ों की गणना पद्धतियों में सुधार होता है, बल्कि नवीनतम डेटा स्रोतों को भी शामिल किया जाता है।

सीपीआई संशोधन के लिए घरेलू उपभोग सर्वे का इस्तेमाल
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के संशोधित आंकड़ों में 2023-24 के घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण में एकत्र की गई वस्तुओं और सेवाओं की सूची तथा उनके वजन (वेटेज) का उपयोग किया गया है। इसके साथ ही मंत्रालय ने नवंबर 2024 से जनवरी 2025 के बीच निजी कॉरपोरेट क्षेत्र में पूंजीगत निवेश की मंशा पर आधारित पहला फॉरवर्ड-लुकिंग सर्वेक्षण किया है, जिसकी रिपोर्ट भी प्रकाशित की जा चुकी है।

सेवा क्षेत्र पर भी नजर, लेकिन आर्थिक जनगणना पर निर्णय लंबित
सेवा क्षेत्र की गतिविधियों को बेहतर ढंग से समझने के लिए वार्षिक सेवा क्षेत्र उद्यम सर्वेक्षण पर एक पायलट अध्ययन भी किया गया है। हालांकि, आठवीं आर्थिक जनगणना को लेकर मंत्रालय की ओर से अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।