केंद्र ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली में बदलाव का प्रस्ताव पेश किया है, जिसके तहत स्लैब की संख्या कम कर दी जाएगी। इस योजना में 5% और 18% स्लैब बरकरार रहेंगे, जबकि 1% से कम की रियायती दर कुछ वस्तुओं पर लागू रहेगी और केवल 5-7 वस्तुओं पर 40% की उच्च दर लगेगी। इसका मतलब है कि 12% और 28% की वर्तमान दरें समाप्त हो जाएंगी। इनमें 12% दर वाली लगभग सभी वस्तुएं 5% स्लैब में और 28% दर वाली लगभग 90% वस्तुएं और सेवाएं 18% स्लैब में शामिल की जाएंगी। इसके अलावा किसी भी तरह का अतिरिक्त उपकर नहीं लगेगा।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से अपने भाषण में इन सुधारों को “अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार” और “दीपावली उपहार” करार दिया। उन्होंने कहा कि इससे आम लोगों पर कर का बोझ कम होगा। एक अधिकारी ने बताया कि राजस्व पर असर होगा, लेकिन इतना नहीं कि बजट घाटे में बड़ी कमी आए। कम दरों से खपत बढ़ेगी, कर चोरी घटेगी और कर का दायरा बढ़ेगा, जिससे वित्त वर्ष के अंत तक राजस्व में वृद्धि होने की संभावना है।
वित्त मंत्रालय ने बताया कि केंद्र ने जीएसटी सुधारों का प्रस्ताव मंत्रियों के समूह (जीओएम) को भेजा है, जिसका गठन जीएसटी परिषद ने किया है। परिषद की अगली बैठक सितंबर या अक्टूबर में हो सकती है, जिसमें जीओएम की सिफारिशों पर विचार किया जाएगा और इस वित्तीय वर्ष के भीतर अधिकांश सुधार लागू करने का प्रयास होगा।
अधिकारी ने कहा कि अब राज्यों पर निर्भर है कि वे इस प्रस्ताव को स्वीकार करें या अस्वीकार करें। केंद्र ने प्रस्ताव इसलिए जीओएम को सौंपा क्योंकि इसमें केवल राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हैं और जीएसटी परिषद में दरों को अंतिम रूप देने का अधिकार राज्यों के पास है।