नई दिल्ली। भारत को चीन से Rare Earth Magnets (रेयर अर्थ मैग्नेट) आयात की अनुमति मिल गई है। केंद्र सरकार के सूत्रों के अनुसार कुछ भारतीय कंपनियों को इसके लिए आधिकारिक लाइसेंस जारी किए गए हैं। यह कदम चीन की हालिया निर्यात पाबंदियों में नरमी का संकेत माना जा रहा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने भी इसकी पुष्टि की है।
यह निर्णय भारत के ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) उद्योग के लिए राहतभरा साबित होगा, क्योंकि ये मैग्नेट्स ईवी उत्पादन में अहम भूमिका निभाते हैं।
ईवी और ऑटो सेक्टर के लिए क्यों जरूरी हैं रेयर अर्थ मैग्नेट्स
रेयर अर्थ मैग्नेट्स आधुनिक इलेक्ट्रिक वाहनों और ऑटोमोबाइल तकनीक की रीढ़ माने जाते हैं। इनका उपयोग ईवी ट्रैक्शन मोटर, हाइब्रिड पावर यूनिट्स, एडवांस्ड ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम (ADAS), इलेक्ट्रिक स्टीयरिंग, सेंसर और बैटरी मॉड्यूल्स में होता है।
वर्तमान में विश्व के लगभग 70 प्रतिशत रेयर अर्थ माइनिंग और अधिकांश रिफाइनिंग क्षमता चीन के पास है। हालांकि ये खनिज अन्य देशों में भी पाए जाते हैं, लेकिन प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी पर चीन की पकड़ बनी हुई है।
इस वर्ष की शुरुआत में चीन द्वारा लगाए गए निर्यात प्रतिबंधों ने वैश्विक ऑटो सप्लाई चेन को प्रभावित किया था। इसके कारण ईवी निर्माण में देरी और पुर्जों की कमी की आशंका बढ़ गई थी। ऐसे में भारत को मिली यह मंजूरी सप्लाई और उत्पादन स्थिरता सुनिश्चित करने में मदद करेगी।
भारत के ईवी उद्योग पर संभावित असर
विशेषज्ञों का मानना है कि चीन से रेयर अर्थ मैग्नेट की पुनः आपूर्ति से भारतीय ईवी बाजार को कई लाभ होंगे—
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ईवी और हाइब्रिड मोटर उत्पादन को गति मिलेगी। 
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पुर्जों की कीमतों में अस्थिरता कम होगी। 
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बढ़ती मांग के अनुरूप आपूर्ति बनाए रखना आसान होगा। 
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पीएलआई स्कीम और घरेलू विनिर्माण को नई मजबूती मिलेगी। 
टाटा मोटर्स, महिंद्रा, और नई बैटरी मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां इस समय ईवी विस्तार पर तेजी से काम कर रही हैं। ऐसे में लगातार सप्लाई से उत्पादन निर्बाध रहेगा और ईवी की कीमतें आम उपभोक्ताओं के लिए किफायती बनी रहेंगी।
भारत-चीन व्यापारिक संबंधों में सकारात्मक संकेत
यह मंजूरी दोनों देशों के बीच व्यापारिक संतुलन और कूटनीतिक संवाद को आगे बढ़ाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम मानी जा रही है। इस वर्ष चीन ने कई महत्वपूर्ण खनिजों और तकनीकों पर निर्यात नियंत्रण लगाए थे, लेकिन भारत को लाइसेंस जारी करना बीजिंग की ओर से तनाव कम करने और एशिया की सप्लाई चेन को स्थिर करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक भारत अपनी घरेलू रेयर अर्थ माइनिंग और रिफाइनिंग क्षमता नहीं विकसित कर लेता, तब तक यह आयात अनुमति देश के ईवी उद्योग को गति देने में एक सेतु की तरह काम करेगी।
 
                 
                 
                 
                                                     
                                                     
                                                     
                                                     
                                                     
                                                     
                                                     
                                                     
                                                     
                                                     
                     
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                        