भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से लंबित व्यापार समझौते पर जल्द ही सहमति बनने की संभावना है। सूत्रों के अनुसार, यह समझौता भारतीय निर्यातकों के लिए बड़ी राहत लेकर आ सकता है, क्योंकि मौजूदा 50 प्रतिशत तक के भारी टैरिफ को घटाकर 15 से 16 प्रतिशत तक किया जा सकता है।
मामले से जुड़ी जानकारी के मुताबिक, वार्ता में ऊर्जा और कृषि क्षेत्र मुख्य मुद्दे हैं। इस डील के तहत भारत धीरे-धीरे रूसी कच्चे तेल के आयात में कमी लाने पर सहमत हो सकता है। गौरतलब है कि रूस से तेल आयात में वृद्धि के कारण अमेरिका ने भारतीय निर्यात पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत दंडात्मक शुल्क लगाया था। वर्तमान में रूस से भारत का लगभग 34 फीसदी कच्चा तेल आता है, जबकि अमेरिका से तेल और गैस आयात का हिस्सा करीब 10 फीसदी (मूल्य के आधार पर) है।
वाणिज्य मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार कार्यालय के अधिकारी इस समझौते को लेकर सक्रिय बातचीत कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, समझौते की रूपरेखा लगभग तैयार है, लेकिन कृषि और ऊर्जा जैसे संवेदनशील क्षेत्रों से संबंधित बिंदुओं पर अंतिम निर्णय के लिए राजनीतिक मंजूरी आवश्यक है।
अमेरिकी कृषि उत्पादों को मिल सकती है भारत में नई पहुंच
सूत्रों के अनुसार, भारत इस समझौते के तहत गैर-जीएम (Non-GM) अमेरिकी मक्का और सोयामील के आयात के लिए अपने बाजार को और खोल सकता है। चीन द्वारा अमेरिकी मक्का की खरीद में कमी के बाद अमेरिका नए खरीदारों की तलाश में है। वहीं, भारत में पोल्ट्री, डेयरी और इथेनॉल उद्योगों की बढ़ती मांग को देखते हुए मक्का आयात कोटा बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है, हालांकि इस पर 15 फीसदी शुल्क फिलहाल बरकरार रहेगा।
गैर-जीएम सोयामील आयात की अनुमति पर भी चर्चा चल रही है। वहीं, अमेरिकी डेयरी उत्पादों, खासकर उच्च गुणवत्ता वाली चीज़ पर टैरिफ में कमी को लेकर अभी सहमति नहीं बन पाई है।
आसियान सम्मेलन में हो सकता है ऐलान
जानकारी के अनुसार, भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की औपचारिक घोषणा इस माह के अंत में क्वालालंपुर में होने वाले आसियान शिखर सम्मेलन में की जा सकती है। सम्मेलन 26 से 28 अक्टूबर के बीच आयोजित होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शामिल होने की संभावना कम है, जबकि विदेश मंत्री एस. जयशंकर भारत का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं।
ऊर्जा नीति में संभावित बदलाव
सूत्रों का कहना है कि भारत अपने तेल आयात स्रोतों में विविधता लाने पर काम कर रहा है। रूस से कच्चे तेल की खरीद में कमी की शुरुआत सरकारी तेल कंपनियों को वैकल्पिक बाजारों—जैसे अमेरिका और मध्य पूर्व—की ओर रुख करने के निर्देश देकर की जा सकती है। बताया जा रहा है कि भारत ने इस बारे में रूस को पहले ही सूचित कर दिया है।
तेजी से बढ़ रहा है द्विपक्षीय व्यापार
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत ने पिछले वित्त वर्ष में लगभग 137 अरब डॉलर मूल्य का कच्चा तेल आयात किया था। मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही में भारत-अमेरिका के बीच व्यापार 71.41 अरब डॉलर पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 11.8 फीसदी अधिक है। इसी दौरान भारत का अमेरिकी बाजार में निर्यात 13.4 फीसदी बढ़कर 45.82 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।
यह संभावित समझौता न केवल दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को मजबूत करेगा, बल्कि भारतीय उद्योग जगत के लिए नई व्यापारिक संभावनाओं के द्वार भी खोलेगा।