विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने स्पष्ट किया है कि भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में कुछ ऐसी सीमाएँ तय की गई हैं, जिनसे किसी भी हाल में समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसानों और छोटे उत्पादकों के हित हमारे लिए सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं, इसलिए यही भारत की प्राथमिकता रहेगी।
‘रेड लाइन्स’ पर अडिग भारत
आर्थिक टाइम्स वर्ल्ड लीडर्स फोरम में संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच समझौते की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि भारत अपनी शर्तों पर कितना अटल रहता है। उन्होंने कहा कि हमारी ‘रेड लाइन्स’ सीधे तौर पर किसानों और लघु उत्पादकों से जुड़ी हैं और सरकार इनके हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
ट्रंप की विदेश नीति पर टिप्पणी
जयशंकर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि ट्रंप का विदेश नीति को सार्वजनिक मंचों पर इस तरह चलाना अभूतपूर्व है। यह अमेरिकी परंपरागत नीति से बड़ा बदलाव है, जिसका असर पूरी दुनिया पर दिखाई दे रहा है।
व्यापार विवाद और रूसी तेल का मुद्दा
हाल ही में भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव उस समय बढ़ा, जब ट्रंप प्रशासन ने भारतीय उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ा दिया। इसके अलावा रूस से भारत द्वारा सस्ता तेल खरीदने और आगे बेचने को लेकर भी अमेरिका ने सवाल उठाए। इस पर जयशंकर ने पलटवार करते हुए कहा कि यदि अमेरिका या यूरोप को भारतीय तेल पसंद नहीं, तो वे इसे खरीदें ही नहीं। भारत किसी को खरीदने के लिए मजबूर नहीं करता।
भारत-चीन संबंधों पर सफाई
जयशंकर ने यह भी कहा कि अमेरिका से व्यापारिक तनाव का मतलब यह नहीं है कि भारत-चीन संबंध सुधर रहे हैं। उन्होंने साफ किया कि चीन से जुड़े मुद्दों को भारत अपनी दृष्टि से देखता है और इसका अमेरिकी वार्ता से कोई सीधा संबंध नहीं है।