गुरुवार को भारतीय शेयर बाजार ने निवेशकों को उत्साहित कर दिया। बीएसई सेंसेक्स ने पहली बार 86,000 के स्तर को पार किया, जबकि एनएसई निफ्टी50 ने भी सितंबर 2024 के अपने पुराने रिकॉर्ड को तोड़ते हुए नया उच्चतम स्तर छू लिया। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की संभावित ब्याज दर कटौती और विदेशी निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी ने बाजार में तेजी को हवा दी।
बीएसई सेंसेक्स 110.87 अंक या 0.13 प्रतिशत बढ़कर 85,720.38 पर बंद हुआ। दिन के दौरान यह 86,055.86 तक पहुंचकर अपना सर्वकालिक उच्च रिकॉर्ड बनाया। इससे पहले 27 सितंबर 2024 को सेंसेक्स 85,978.25 के उच्च स्तर तक पहुंचा था। वहीं, एनएसई निफ्टी 10.25 अंक या 0.04 प्रतिशत की मामूली बढ़त के साथ 26,215.55 पर बंद हुआ, जबकि दिन के कारोबार में यह 26,310.45 तक पहुंच गया, जो इसका नया सर्वकालिक उच्च स्तर है।
विश्लेषकों का मानना है कि यह तेजी केवल तकनीकी उछाल नहीं है। अमेरिकी फेड और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की संभावित ब्याज दर कटौती ने बाजार में सकारात्मक धारणा पैदा की है। यदि यह कटौती होती है, तो इक्विटी निवेश में और तेजी देखने को मिल सकती है।
वैश्विक ब्रोकरेज हाउस भी भारतीय शेयर बाजार के प्रति आशावादी हैं। जेपी मॉर्गन, मैक्वेरी, मॉर्गन स्टैनली, गोल्डमैन सैक्स और HSBC जैसी कंपनियां भारत को लंबे समय के लिए एक महत्वपूर्ण ग्रोथ हब मान रही हैं। जेपी मॉर्गन ने निफ्टी50 का लक्ष्य 2026 के अंत तक 30,000 रखा है, वहीं एमएससीआई इंडिया की अर्निंग्स ग्रोथ 2026 में 13% और 2027 में 14% रहने का अनुमान है।
विदेशी निवेशकों ने भी इस तेजी में योगदान दिया। 26 नवंबर को एफआईआई ने ₹4,778 करोड़ और डीआईआई ने ₹6,247 करोड़ का निवेश किया। विशेषज्ञों का कहना है कि गिरती ब्याज दरें, मजबूत रुपया और बढ़ती तरलता निकट भविष्य में इक्विटी बाजार के लिए सहायक रहेंगी।
तकनीकी और फंडामेंटल दोनों ही दृष्टिकोण से बाजार में टेलविंड्स मौजूद हैं। अक्तूबर में बढ़ी खपत Q3 और Q4 FY26 में अर्निंग्स ग्रोथ में तब्दील हो सकती है। हालांकि, उच्च वैल्यूएशन को देखते हुए तेज और लंबे समय तक टिकने वाली तेजी की संभावना सीमित है।
विशेषज्ञों का कहना है कि निवेशकों को सावधानी बरतते हुए सेलेक्टिव बाय-ऑन-डिप्स, प्रूडेंट लीवरेज मैनेजमेंट और टाइट स्टॉप-लॉस नीति अपनानी चाहिए। फिलहाल नए लॉन्ग पोजिशन तभी लेने चाहिए जब निफ्टी 26,300 के ऊपर स्थिर रहे। यदि वैश्विक और घरेलू संकेत सकारात्मक बने रहते हैं, तो 2026 भारत के लिए इक्विटी सुपर साइकिल का साल साबित हो सकता है।