सोमवार को भारतीय शेयर बाजार में जोरदार उछाल देखने को मिला। सेंसेक्स ने ट्रेडिंग शुरू होते ही 900 अंक से अधिक की तेजी दिखाई और कुछ ही समय में 1000 अंक के पार चला गया। निफ्टी भी 300 से ज्यादा अंक ऊपर गया, जिससे निवेशकों का मनोबल बढ़ा। वहीं, चीन का शेयर बाजार इससे काफी अलग प्रदर्शन कर रहा है। शंघाई कम्पोजिट स्टॉक मार्केट इंडेक्स की स्थिति अभी भी कमजोर बनी हुई है।

चीन के शेयर बाजार की धीमी चाल
अगर 3 अगस्त 2015 से 18 अगस्त 2025 तक के आंकड़ों को देखें, तो शंघाई कम्पोजिट स्टॉक मार्केट इंडेक्स में केवल 3% की मामूली बढ़ोतरी हुई है। 10 साल पहले यह 3622.91 के स्तर पर था, जो अब 3728.03 पर है। इसका मतलब है कि यदि किसी ने 10 साल पहले इस इंडेक्स में 1 लाख रुपये निवेश किए होते, तो आज वह राशि लगभग 1.03 लाख रुपये होती। यानी चीन के शेयर बाजार ने निवेशकों को ज्यादा लाभ नहीं दिया, जबकि देश में बैंक की FD में दोगुना रिटर्न हर साल मिल सकता है।

भारत के शेयर बाजार की मजबूत तेजी
इसके विपरीत, भारतीय सेंसेक्स पिछले 10 सालों में जबरदस्त बढ़ा है। 3 अगस्त 2015 को सेंसेक्स 28,187.06 पर था, जो 18 अगस्त 2025 को 81,273.75 के पार पहुंच गया। इस दौरान कुल बढ़त लगभग 188% रही। यानी यदि किसी ने 10 साल पहले सेंसेक्स में 1 लाख रुपये लगाए होते, तो आज उसकी रकम करीब 3 लाख रुपये हो चुकी होती।

आंकड़े साफ दिखाते हैं कि भारतीय शेयर बाजार ने चीन के मुकाबले कहीं बेहतर रिटर्न दिया है। जहां चीन के शंघाई कम्पोजिट इंडेक्स ने लगभग 3% का रिटर्न दिया, वहीं सेंसेक्स ने इससे लगभग 62 गुना अधिक रिटर्न दिया।

चीन के बाजार की धीमी रफ्तार के कारण
चीन के शेयर बाजार की कमजोर स्थिति को लेकर चिंता बढ़ रही है और राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी इस पर फिक्रमंद हैं। करीब 35 साल पहले चीन ने यह बाजार सरकारी कंपनियों की मदद के लिए बनाया था ताकि जनता की बचत इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में लगाई जा सके। इसलिए निवेशकों को ज्यादा लाभ देने पर ध्यान कम रहा। इसके अलावा बाजार में शेयरों की अधिक आपूर्ति और अनुचित लिस्टिंग के तरीके भी समस्या का कारण बने। यही वजह है कि दुनिया के सबसे बड़े 11 ट्रिलियन डॉलर के इस बाजार की स्थिति अभी भी मजबूत नहीं हो पाई है।