केंद्र सरकार द्वारा जनवरी 2025 में महंगाई भत्ते (DA) और महंगाई राहत (DR) में दो प्रतिशत की वृद्धि के बाद अब एक बार फिर इनमें संशोधन की संभावना बन रही है। इससे डीए/डीआर की दर 55 फीसदी से बढ़कर 58 फीसदी हो सकती है। यह बदलाव जुलाई 2025 से लागू हो सकता है।
हालांकि, आठवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा के बावजूद अभी तक इसके अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति नहीं हुई है। आयोग की सिफारिशें जनवरी 2026 से लागू होनी हैं।
सीपीआई-आईडब्लू के आधार पर बदलाव संभव
जनवरी से जून 2025 तक के अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (औद्योगिक श्रमिक - CPI-IW) के आंकड़ों के आधार पर डीए में तीन फीसदी वृद्धि की संभावना जताई जा रही है। मई 2025 में यह सूचकांक 0.5 अंक बढ़कर 144.0 और जून में 1.0 अंक की वृद्धि के साथ 145.0 अंक पर पहुंच गया।
श्रम ब्यूरो के अनुसार, इस छह माह के औसत पर आधारित गणना से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि केंद्र सरकार सितंबर के अंत तक तीन फीसदी डीए/डीआर बढ़ोतरी की घोषणा कर सकती है।
पिछले रुझान और CPI-IW के आँकड़े
दिसंबर 2024 में सीपीआई-आईडब्लू 143.7 अंक था, जिससे उस समय डीए में केवल दो फीसदी की वृद्धि की गई थी। इससे पहले अक्टूबर 2024 में 3 फीसदी की बढ़ोतरी की गई थी। सातवें वेतन आयोग के अनुसार, महंगाई भत्ता और राहत की गणना औद्योगिक श्रमिकों के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर की जाती है।
2024 के मासिक CPI-IW आंकड़े निम्नलिखित रहे:
- मई: 139.9
- जून: 141.4
- जुलाई: 142.7
- अगस्त: 142.6
- सितंबर: 143.3
- अक्टूबर: 144.5
- नवंबर: 144.5
- दिसंबर: 143.7
- जनवरी 2025: 143.2
- फरवरी 2025: 142.8
ये सूचकांक देश भर के 88 औद्योगिक केंद्रों के 317 बाजारों से एकत्रित खुदरा मूल्यों के आधार पर तैयार किए जाते हैं।
अखिल भारत समूहवार CPI-IW विश्लेषण
मार्च - जून 2025 के सूचकांक (चयनित समूहों में):
- खाद्य एवं पेय: 146.2 → 148.6
- तंबाकू, पान आदि: 164.8 → 167.4
- कपड़े एवं जूते: 149.4 → 152.0
- ईंधन एवं प्रकाश: 148.5 → 153.5
- सामान्य सूचकांक: 140.1 → 145.0
डीए गणना पद्धति में बदलाव की मांग
केंद्रीय कर्मचारियों की यूनियन ‘कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स’ के महासचिव एसबी यादव ने बजट सत्र से पहले कैबिनेट सचिव को पत्र भेजकर डीए/डीआर की गणना प्रणाली में बदलाव की मांग की थी। उन्होंने कहा कि मौजूदा 12 महीने के औसत की जगह 3 महीने के औसत पर आधारित परिवर्तनीय डीए दिया जाए, ताकि कर्मचारियों को हर तिमाही मूल्यवृद्धि के अनुसार राहत मिल सके, जैसा कि सार्वजनिक बैंकों में होता है।
प्वाइंट-टू-प्वाइंट डीए की मांग
पत्र में यह भी कहा गया कि बैंकों और एलआईसी के कर्मचारियों की तरह केंद्र सरकार के कर्मचारियों को भी प्वाइंट-टू-प्वाइंट डीए मिलना चाहिए। वर्तमान प्रणाली में 42.90% डीए होने पर भी केवल 42% मंजूर किया जाता है, जिससे 0.9% डीए का नुकसान छह महीने तक उठाना पड़ता है।
इसके अतिरिक्त, केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए अलग उपभोक्ता मूल्य सूचकांक तैयार करने की मांग भी की गई है, ताकि उन्हें अधिक सटीक और समयबद्ध मुआवजा मिल सके।