टाटा ट्रस्ट ने अपने तीन प्रमुख परोपकारी संस्थानों के लिए मेहली मिस्त्री को दोबारा ट्रस्टी नियुक्त करने का प्रस्ताव रखा है। प्रस्ताव पारित होने पर मिस्त्री को आजीवन ट्रस्टी का दर्जा मिल जाएगा। इस संबंध में जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि टाटा ट्रस्ट के सीईओ की ओर से गुरुवार को अन्य ट्रस्टियों को एक सर्कुलर भेजा गया, जिसमें सर रतन टाटा ट्रस्ट, सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और बाई हीराबाई जमशेदजी टाटा नवसारी चैरिटेबल इंस्टीट्यूशन में मिस्त्री की पुनर्नियुक्ति की अनुशंसा की गई है।
यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब ट्रस्ट के भीतर मतभेदों की चर्चाएं तेज हैं। रतन टाटा के विश्वस्त माने जाने वाले मेहली मिस्त्री को पहली बार वर्ष 2022 में ट्रस्टी नियुक्त किया गया था, जिनका तीन वर्ष का कार्यकाल 28 अक्टूबर को समाप्त हो रहा है। फिलहाल टाटा ट्रस्ट्स ने इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है।
इससे पहले, ट्रस्ट ने वेणु श्रीनिवासन को सर्वसम्मति से आजीवन ट्रस्टी के रूप में फिर से नियुक्त किया था। अब सभी की निगाहें मिस्त्री के कार्यकाल के नवीनीकरण को लेकर होने वाले फैसले पर टिकी हैं। सूत्रों के अनुसार, मिस्त्री ने तीन अन्य ट्रस्टियों—प्रमित झावेरी, जहांगीर एचसी जहांगीर और डेरियस खंबाटा—के साथ मिलकर श्रीनिवासन की पुनर्नियुक्ति को मंजूरी देते समय यह शर्त रखी थी कि भविष्य में किसी भी ट्रस्टी का कार्यकाल नवीनीकरण सर्वसम्मति से ही किया जाएगा, अन्यथा वे अपनी मंजूरी वापस ले सकते हैं।
ट्रस्ट के भीतर इस बात पर मतभेद बताए जा रहे हैं कि मिस्त्री का कार्यकाल स्वतः जारी रहेगा या इसके लिए अन्य ट्रस्टियों की सर्वसम्मति आवश्यक होगी। सूत्रों का कहना है कि संगठन में दो गुट उभर आए हैं—एक पक्ष नोएल टाटा के नेतृत्व में है, जिन्होंने रतन टाटा के बाद अध्यक्ष पद संभाला, जबकि दूसरा गुट रतन टाटा के पुराने विश्वासपात्रों से जुड़ा है।
मामले ने सरकारी स्तर पर भी ध्यान आकर्षित किया है। हाल ही में टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन नोएल टाटा और टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की थी। बताया जाता है कि सरकार ने दोनों पक्षों से आपसी मतभेद सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने और समूह की प्रतिष्ठा बनाए रखने की सलाह दी है।
गौरतलब है कि टाटा ट्रस्ट्स, सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट सहित कई प्रमुख धर्मार्थ संस्थानों की देखरेख करता है। यह टाटा संस में 66 प्रतिशत हिस्सेदारी रखता है, जो 156 साल पुराने टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी है। टाटा समूह के अंतर्गत 30 सूचीबद्ध कंपनियों सहित करीब 400 संस्थान कार्यरत हैं।