ऑस्ट्रेलिया की प्रमुख एयरलाइन क्वांटास को सोमवार को बड़ा झटका लगा। संघीय न्यायालय ने कोविड-19 महामारी के दौरान 1,800 ग्राउंड स्टाफ को अवैध रूप से हटाने के मामले में कंपनी पर 90 मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (करीब 6 करोड़ अमेरिकी डॉलर) का ऐतिहासिक जुर्माना लगाया। अदालत ने कंपनी पर पश्चाताप की कमी को लेकर कड़ी टिप्पणी भी की।
यह जुर्माना ऑस्ट्रेलिया के श्रम कानून इतिहास में किसी कंपनी पर लगाया गया अब तक का सबसे बड़ा दंड है। फैसला सुनाते हुए न्यायाधीश माइकल ली ने क्वांटास की कानूनी रणनीति की आलोचना करते हुए कहा कि एयरलाइन का खेद कर्मचारियों के साथ हुए अन्याय से अधिक कंपनी को हुए नुकसान से जुड़ा हुआ प्रतीत होता है।
ली ने स्पष्ट किया कि निर्धारित राशि अधिकतम दंड का करीब 75% है और इसका मकसद यह संदेश देना है कि इस तरह की कार्रवाई को “व्यवसाय की लागत” के रूप में नहीं देखा जा सके। उन्होंने बताया कि जुर्माने में से 50 मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर ट्रांसपोर्ट वर्कर्स यूनियन (TWU) को दिए जाएंगे, जिसने यह मामला दायर किया था।
निर्णय के बाद यूनियन के राष्ट्रीय सचिव माइकल केन ने कहा, “हमने तमाम मुश्किलों के बावजूद एक विशाल कंपनी का सामना किया, जिसने खुद को निर्मम साबित किया था, और आखिरकार हमने जीत हासिल की।”
यह फैसला उस समझौते के बाद आया है, जिसके तहत क्वांटास ने बीते दिसंबर में बर्खास्त कर्मचारियों के लिए 120 मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर के मुआवजा कोष की घोषणा की थी। उल्लेखनीय है कि 2020 में महामारी के दौरान एयरलाइन प्रबंधन ने 1,820 ग्राउंड स्टाफ की सेवाएं समाप्त कर उनके कार्य ठेकेदारों को सौंप दिए थे। उस समय कंपनी ने इसे वाणिज्यिक निर्णय बताया था, लेकिन 2021 में संघीय अदालत ने इसे “गैरकानूनी” ठहराया और माना कि एयरलाइन ने कर्मचारियों को अपने श्रम अधिकारों और यूनियन गतिविधियों से वंचित किया, जो फेयर वर्क एक्ट का उल्लंघन है।