भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की हालिया रिपोर्ट में संभावना जताई गई है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) आगामी 5 से 7 अगस्त को होने वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में रेपो दर में 25 आधार अंक (बीपीएस) की कटौती कर सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, यह निर्णय ऋण प्रवाह को गति देने और वित्त वर्ष 2026 के त्योहारों के मौसम में उपभोक्ता खर्च को प्रोत्साहित करने में सहायक हो सकता है।

एसबीआई की रिपोर्ट बताती है कि यदि अगस्त में ब्याज दरों में कटौती होती है तो इससे उपभोक्ताओं में ‘जल्दी दिवाली’ जैसा सकारात्मक माहौल बन सकता है। इससे पूर्व के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया गया कि दिवाली से पहले ब्याज दर में कटौती होने पर त्योहारी सीजन के दौरान कर्ज लेने की प्रवृत्ति में इजाफा देखने को मिला है। अगस्त 2017 में जब रेपो रेट में 25 बीपीएस की कटौती की गई थी, तब दिवाली तक लगभग 1.95 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त कर्ज वृद्धि दर्ज की गई थी, जिसमें व्यक्तिगत ऋणों की हिस्सेदारी लगभग 30% रही।

रिपोर्ट में कहा गया है कि दिवाली जैसे बड़े त्यौहारों के दौरान उपभोक्ता खर्च पर असर पड़ता है और यदि ब्याज दरें कम हों तो बाजार में मांग और कर्ज की जरूरत दोनों बढ़ती हैं।

एसबीआई का यह भी कहना है कि वर्तमान में मुद्रास्फीति आरबीआई के निर्धारित दायरे में है, ऐसे में यदि नीतिगत सख्ती जारी रहती है, तो उत्पादन व मांग पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है जिसे बाद में संतुलित करना चुनौतीपूर्ण होगा।

इसके अतिरिक्त, रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि टैरिफ नीति की अनिश्चितता, सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर, वित्त वर्ष 2026 के त्योहारों का प्रभाव और वित्त वर्ष 2027 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) की प्रवृत्तियां— ये सभी कारक मौद्रिक नीति के निर्णयों को प्रभावित कर सकते हैं।