त्योहारी और शादी के मौसम से पहले केंद्र सरकार की टैक्स व्यवस्था से जुड़ी संभावित घोषणा ने ज्वेलरी कारोबार में हलचल पैदा कर दी है। सरकार ने संकेत दिया है कि जीएसटी ढांचे को दो स्लैब—5% और 18%—तक सीमित किया जा सकता है। फिलहाल सोना-चांदी के आभूषणों पर 3% जीएसटी लागू है। ज्वेलर्स को आशंका है कि यदि इन्हें 5% श्रेणी में रखा गया तो गहनों की कीमत और बढ़ जाएगी, जिससे न केवल बाजार बल्कि आम उपभोक्ताओं पर भी सीधा असर दिखेगा।
टैक्स पहले ही तीन गुना बढ़ चुका
दिल्ली-एनसीआर ज्वेलर्स कमेटी के चेयरमैन अशोक सेठ के अनुसार, जीएसटी लागू होने से पहले आभूषणों पर केवल 1% वैट लगता था। 2017 में जीएसटी आने के बाद यह टैक्स 3% हो गया। यानी टैक्स का बोझ तीन गुना बढ़ा, फिर भी ग्राहकों ने सोना-चांदी की खरीद जारी रखी। लेकिन पिछले छह महीनों में सोने की कीमत लगभग दोगुनी हो चुकी है। ऐसे में अगर टैक्स और बढ़ा, तो आम लोगों के लिए गहने लेना और मुश्किल हो जाएगा।
सोना-चांदी के अलावा आभूषणों पर मेकिंग चार्ज भी जोड़े जाते हैं, जो कारीगरों की मेहनत की कीमत होती है। सरकार ने इन सर्विस चार्ज पर पहले से ही 5% जीएसटी लगा रखा है। वहीं सोना-चांदी पर 3% और हीरों पर 0.25% व 3% का टैक्स लागू है। अगर ज्वेलरी पर टैक्स स्लैब 5% कर दिया गया, तो कुल लागत और बढ़ जाएगी, जिससे मांग में गिरावट आ सकती है।
कारोबारियों की चिंता
दिल्ली बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश सिंघल ने बताया कि बाजार में इस समय ग्राहकों की आवाजाही बेहद कम है और हर जगह यही चर्चा है कि जीएसटी दर बढ़ सकती है। यदि टैक्स 3% से बढ़ाकर 5% कर दिया गया तो कीमतें तुरंत बढ़ेंगी, जिससे मांग घटेगी और कारोबार प्रभावित होगा। उन्होंने सुझाव दिया कि ज्वेलरी पर टैक्स 1% तक घटाया जाए, ताकि बिक्री को प्रोत्साहन मिले।
कूचा महाजनी के चांदी व्यापारी सुशील जैन ने चेतावनी दी कि टैक्स बढ़ने की स्थिति में ग्राहक बिना बिल के गहने खरीदना शुरू कर सकते हैं। इससे न केवल कालाबाजारी बढ़ेगी बल्कि सरकार के राजस्व पर भी असर पड़ेगा। कारोबारियों का कहना है कि टैक्स घटाने से ही पारदर्शी व्यापार और ग्राहकों का भरोसा दोनों कायम रह पाएंगे।
सरकार से उम्मीदें
ज्वेलर्स संगठनों ने साफ कहा है कि मौजूदा 3% जीएसटी को बरकरार रखा जाए, क्योंकि टैक्स बढ़ने से सीधा असर उपभोक्ताओं की जेब और बाजार की स्थिति पर पड़ेगा। हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया है कि सरकार द्वारा तैयार किए गए ‘नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी’ प्रस्ताव में सोना-चांदी पर 3% और हीरे पर 0.25% जीएसटी ही रखने का सुझाव दिया गया है। यदि ऐसा हुआ तो बाजार को राहत मिलेगी।
लेकिन जब तक केंद्र सरकार की ओर से आधिकारिक घोषणा नहीं होती, ज्वेलरी बाजार में अनिश्चितता बनी रहेगी। व्यापारी फिलहाल इंतजार कर रहे हैं कि सरकार जल्द कोई स्पष्ट फैसला ले, ताकि ग्राहकों का भरोसा लौटे और बाजार में फिर से रौनक आ सके।