जैसी उम्मीद की जा रही थी, अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ने एक बार फिर राहत देते हुए ब्याज दरों में 0.25% की कटौती की है। सितंबर 2024 से अब तक यह पांचवीं बार है जब फेड ने दरें घटाई हैं। इस अवधि में कुल मिलाकर 1.50% की कमी की जा चुकी है, जिससे अब फेड की पॉलिसी दरें 3.75 से 4% के दायरे में आ गई हैं।

ब्याज दरों में कटौती की अटकलें उस समय से लगाई जा रही थीं जब अमेरिका में जारी महंगाई दर उम्मीद से कम रही थी। जहां 3.1% की वृद्धि की संभावना थी, वहीं आंकड़ा 3% पर स्थिर रहा। इसके बाद विशेषज्ञों ने अनुमान जताया था कि फेड कम से कम 0.25% की दर कटौती जरूर करेगा।

आगे और कटौती के संकेत
फेड मीटिंग से यह भी संकेत मिले हैं कि दिसंबर की बैठक में एक और 0.25% की कटौती की जा सकती है। इसके अलावा अगले दो वर्षों में दो से तीन बार दरों में कमी की संभावना जताई गई है। हालांकि यह इस बात पर निर्भर करेगा कि अमेरिका में महंगाई दर 2% से 2.5% के बीच आती है या नहीं — जो फिलहाल जल्द संभव नहीं दिख रहा है।

इस बीच, अमेरिका का भारत और चीन के साथ ट्रेड डील को लेकर रुख सकारात्मक बना हुआ है, जिससे एशियाई अर्थव्यवस्थाओं पर भी इसका असर पड़ने की उम्मीद है।

भारत में भी रेट कट का दबाव बढ़ा
फेड के इस फैसले के बाद भारत में भी रिजर्व बैंक (RBI) पर दरें घटाने का दबाव बढ़ गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि दिसंबर में होने वाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में 0.25% की कटौती संभव है। इससे पहले आरबीआई ने फरवरी से जून 2024 के बीच कुल 1% की कटौती कर आम लोगों को लोन और ईएमआई में राहत दी थी। हालांकि अगस्त और अक्टूबर में गवर्नर ने कहा था कि “पिछली दर कटौती का पूरा फायदा अभी लोगों तक नहीं पहुंचा है,” इसलिए तब कोई बदलाव नहीं किया गया।

क्यों जरूरी हुई कटौती?
पिछले तीन महीनों से कोर महंगाई 3% पर बनी हुई है, जो फेड के 2% के लक्ष्य से अभी भी ऊपर है। वहीं, बढ़ती बेरोजगारी और कमजोर होती श्रम बाज़ार की स्थिति ने भी ब्याज दरों में राहत की जरूरत को मजबूती दी है। हाल ही में अमेरिका में सरकारी शटडाउन के कारण आर्थिक आंकड़ों के प्रकाशन में देरी हुई, जिससे फेड के निर्णय पर दबाव और बढ़ गया। अगस्त में अमेरिका की बेरोजगारी दर 4.3% दर्ज की गई थी।

शेयर बाजार में जोश
फेड के फैसले के बाद अमेरिकी बाजारों में तेजी का माहौल देखा गया।

  • डाउ जोंस 0.31% चढ़कर 47,854 अंकों पर पहुंचा और कारोबार के दौरान 48,040 अंकों के 52 हफ्तों के उच्च स्तर पर गया।

  • नैस्डैक कंपोजिट में 135 अंकों की उछाल के साथ 23,962 अंकों पर कारोबार हुआ, जो सेशन में 24,019 अंकों के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंचा।

  • एसएंडपी 500 भी 0.20% की तेजी के साथ 6,905 अंकों पर बंद हुआ, जबकि सेशन में यह 6,920 अंकों तक पहुंचा था।

अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यह दर कटौती अमेरिकी अर्थव्यवस्था में नई ऊर्जा लाएगी, लेकिन लगातार बढ़ती बेरोजगारी और कमजोर मांग के चलते फेड को संतुलित रुख अपनाना होगा।