भारत पर अमेरिकी टैरिफ दोगुना, गोयनका-महिंद्रा ने दी कड़ी प्रतिक्रिया

6 अगस्त को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने का निर्णय लिया, जिससे कुल शुल्क 50% तक पहुंच गया। इस फैसले ने भारतीय उद्योग जगत में चिंता और आक्रोश पैदा कर दिया है। कई उद्योगपतियों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।

हर्ष गोयनका बोले– भारत संप्रभुता से समझौता नहीं करेगा

आरपीजी एंटरप्राइजेज के चेयरमैन हर्ष गोयनका ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर कहा कि अमेरिका हमारे उत्पादों पर शुल्क बढ़ा सकता है, लेकिन भारत की संप्रभुता को चुनौती नहीं दी जा सकती। उन्होंने लिखा, “हम अपने विकल्प खुद तलाशेंगे, आत्मनिर्भर बनेंगे और किसी दबाव के आगे नहीं झुकेंगे।” गोयनका की टिप्पणी इस बात का संकेत है कि यह मसला आर्थिक से अधिक राजनीतिक रूप ले चुका है।

आनंद महिंद्रा ने चेताया– ट्रंप का फैसला अमेरिका के लिए ही बन सकता है नुकसानदायक

महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने इस टैरिफ वृद्धि को “अनपेक्षित परिणामों का नियम” (Law of Unintended Consequences) बताया। उनका मानना है कि यह कदम अमेरिका के लिए ही उलटा पड़ सकता है और भारत को यह अवसर बनकर मिल सकता है, जैसा 1991 के आर्थिक सुधारों के समय हुआ था। उन्होंने सरकार को दो प्रमुख सुझाव दिए:

  1. व्यापार को सरल बनाना जरूरी:
    महिंद्रा ने कहा कि भारत को अब छोटे-छोटे सुधारों से आगे बढ़ते हुए एक व्यापक ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ नीति को लागू करना चाहिए। उन्होंने एक मजबूत ‘सिंगल विंडो क्लियरेंस सिस्टम’ विकसित करने पर जोर दिया, जिससे निवेशकों को सभी स्वीकृतियां एक ही स्थान पर मिल सकें। उन्होंने यह सुझाव भी दिया कि इसकी शुरुआत उन राज्यों से की जाए जो तैयार हों।
  2. पर्यटन को विदेशी मुद्रा का मजबूत स्रोत बनाएं:
    उन्होंने कहा कि भारत में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, जो रोजगार और विदेशी मुद्रा दोनों के लिहाज से अहम साबित हो सकती हैं। इसके लिए वीजा प्रक्रिया को आसान और तेज करने, पर्यटन ढांचे को सुधारने और विशेष टूरिज्म कॉरिडोर विकसित करने की सलाह दी। उन्होंने सुरक्षा, स्वच्छता और सुविधाओं पर विशेष ध्यान देने की बात भी कही।

नीति आयोग के पूर्व CEO का भी बयान

नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने इसे भारत के लिए एक बड़ा अवसर करार देते हुए कहा कि इस चुनौती को देश को सुधार की दिशा में अगले निर्णायक कदम के रूप में इस्तेमाल करना चाहिए।

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