जेएनयू में नहीं लगेंगे सीसीटीवी कैमरे: छात्र संघ अध्यक्ष धनंजय वादा

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय कैंपस और हॉस्टल में सीसीटीवी कैमरे लगाने की अनुमति कभी नहीं दी जाएगी। हॉस्टल में सीसीटीवी लगाना छात्रों की निजता का हनन है। जेएनयू छात्र संघ के नवनिर्वाचित अध्यक्ष धनंजय कुमार ने दो टूक कहा कि फिल्मों के माध्यम से संस्थान को बदनाम करने की साजिश को बेनकाब करेंगे।

वहीं, उन्होंने इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारने, जीएस कैश को दोबारा लागू करवाने, एमसीएस का वजीफा 2000 से बढ़ाकर 5000 रुपये करवाने को अपनी प्राथमिकता बताया। विभिन्न स्कूलों में जाकर जनरल बॉडी बैठक (जीबीएम) में छात्रों की मांगों की सूची बनाएंगे। इसके बाद दो हफ्ते में छात्रों की आम दिक्कतों को दूर करने के लिए चार्टर ला रहे हैं। जेएनयू छात्रसंघ के नवनिर्वाचित अध्यक्ष धनंजय कुमार ने छात्रों की दिक्कतों को दूर करने और भविष्य की योजनाओं को लेकर अमर उजाला संवाददाता सीमा शर्मा से विस्तार से बात की।

छात्रों ने लगातार पांचवीं बार लेफ्ट गठबंधन पर भरोसा जताया है। अब छात्रों की दिक्कतों को दूर करने के लिए आपकी प्राथमिकताएं क्या रहेंगी?
2019 के छात्रसंघ चुनाव से लेकर 2024 तक हम लगातार छात्र हित की आवाज बनकर खड़े हैं। आम छात्रों ने इसी काम पर भरोसा जताते हुए हमें पांचवीं बार मौका दिया है। सबसे पहले इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम करेंगे। हॉस्टल में सीटों की कमी को दूर करने, एमसीएम में मिलने वाली राशि 2000 से बढ़ाकर 5000 रुपये करना (वर्ष 2011 से 2000 रुपये मेस बिल के लिए मिल रहे हैं, जबकि अब मेस का बिल 3500 से 4200 रुपये तक आ रहा है), आईसीसी (इंटरनल कंप्लेंट कमेटी) की जगह जीएस कैश कमेटी को दोबारा लागू करना (छात्रा, कर्मी और शिक्षिका ) प्राथमिकता रहेगी। कैंपस में महिलाओं को किसी प्रकार की दिक्कत न हो इसके लिए बेहतर सुरक्षित माहौल मुहैया करवाया जाएगा। लैंगिक समानता के प्रति छात्रों को जागरूक किया जाएगा।  

छात्रसंघ के गठन के साथ ही जेएनयू प्रशासन से साथ दूरियां फिर दिखाईदेने लगी हैं ? इन्हें कैसे दूर करेंगे, ताकि छात्रों की बात प्रशासन तकपहुंच सके?
जेएनयू प्रशासन ने ही छात्रसंघ चुनाव के नतीजों को माना और नोटिफाई भी किया है। लेकिन दूसरे ही दिन एकेडमिक काउंसिल की बैठक में छात्रसंघ को नहीं बुलाया। जबकि नियमों के तहत छात्रसंघ को भी शामिल किया जाना था। दरअसल, जेएनयू प्रशासन के मन में खोट है। हम लोकतांत्रिक तरीके से छात्रों के प्रतिनिधि होने के नाते पहले अपनी बात कागज पर लिखकर प्रशासन को देंगे। 

यदि नहीं सुनते हैं तो फिर इन्हीं छात्रों के बीच जाकर प्रशासन की बात उनको बताते हुए उन्हें लामबंद करेंगे। हमने इस कैंपस में छात्रों के साथ लामबंद होकर बड़ी-बड़ी लड़ाई लड़ी हैं और आगे भी लड़ेंगे। हम यहां पढ़ने आएं हैं, इसलिए हमारी प्राथमिकता शांतिप्रिय तरीके से हर समस्या का निदान करना है। इसकी शुरुआत सोमवार से हॉस्टल के मुद्दे पर होगी। हमारा मकसद बुधवार तक छात्रों को हॉस्टल सीट उपलब्ध करवाना है। यदि सुनवाई नहीं होगी तो लामबंद होंगे।

मतदान से कुछ घंटे पहले वापसा प्रत्याशी को समर्थन की घोषणा की। वापसा का समर्थन लेने से इंकार है। अब आगे कैसे मिलकर काम करेंगे?  
मतदान से कुछ घंटे पहले वामदल गठबंधन की महासचिव प्रत्याशी स्वाति सिंह का नामांकन रद्द कर दिया गया। इसके बाद वामदल ने वापसा प्रत्याशी प्रियांशी को अपना समर्थन देने की घोषणा की थी। इसका मकसद सिर्फ एबीवीपी को जीत से दूर करना था। अब इस जीत को वापसा माने या नहीं माने, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। यह छात्रों की राजनीतिक परिपक्वता है कि उन्होंने भी एबीवीपी को आगे बढ़ने से रोका। छात्रों का फैसला हमें मंजूर है और हम मिलकर काम करेंगे। इस पर कोई विवाद नहीं है।

25 सालों के बाद कैंपस को दलित अध्यक्ष मिला। इस वर्ग के छात्रों को शिक्षा से जोड़ने पर किस प्रकार से काम करेंगे?
मैं हाशिए के लोगों खासकर दलित, आदिवासी और महिलाओं को आगे लाने पर काम करुंगा। कैंपस में तेलंगाना, कश्मीर, यूपी, उत्तराखंड, असम, ओडिसा, पूर्वोत्तर सभी क्षेत्रों के छात्र पढ़ाई करने आते हैं। लेकिन आजकल इन दूरदराज के बेहद आम छात्रों को जेएनयू में आकर पढ़ाई करने से रोकने की साजिश चल रही है। बक्सर समेत कई फिल्मों में भी जेएनयू के छात्रों पर सवाल उठाया गया है। उन्हें आतंकवादी, नक्सली व देशद्रोही करार दिया जाता है। इसके कारण जब कोई आम छात्र जेएनयू में पढ़ने की सोचता है तो आसपास के लोग उसे दाखिला लेने से रोकते हैं। क्योंकि फिल्मों के माध्यम से उनकी सोच पर जेएनयू को गलत दिखाया गया है। इसीलिए हमने जेएनयू प्रशासन को इस संबंध में नोटिस भेजा है, ताकि वे इस तरह फिल्मों में जेएनयू को गलत दिखाने पर रोक लगवा सके। जेएनयू प्रशासन को पिछड़े इलाकों में जाकर सीयूईटी से दाखिले के लिए आम छात्रों को जागरूक करने की जिम्मेदारी लेनी होगी। इसमें छात्रसंघ पूरी मदद करेगा।

बिहार से जेएनयू तक का सफर कैसा रहा?
बिहार के गया जिले के गुरारू में जन्म और फिर रांची के सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल में 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई। पिता बिहार पुलिस और झारखंड (राज्य बनने के बाद) पुलिस में काम करते थे। वर्ष 2012 में इंस्पेक्टर पद से रिटायर हुए। मां शकुंतला देवी गृहिणी है। स्कूली पढ़ाई के बाद दिल्ली आ गए और डीयू से पॉलिटिकल ऑनर्स में स्नातक, अंबेडकर यूनिवर्सिटी दिल्ली से पीजी और एमफिल के बाद पीएचडी जेएनयू से कर रहा हूं। वर्ष 2014 में पहली बार आइसा छात्र संगठन से जुड़ा और सफर जारी है। हालांकि इससे पहले किसी विचारधारा से कोई जुड़ाव नहीं था। छात्रसंघ अध्यक्ष के बाद अब अगला चरण देश की सक्रिय राजनीति में उतरना है। वामदल विचारधारा को आम लोगों के बीच लेकर जाना है।

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