चुनाव और अवैध हथियारों की बरामदगी !

मुज़फ्फरनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह ने लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र अवैध हथियारों के विरुद्ध चलाये जा रहे अभियान की एक महत्वपूर्ण सूचना मीडिया को दी है। उन्होंने बताया कि शहर कोतवाली पुलिस ने मिमलाना रोड पर खाली पड़े एक मकान में तमंचा बनाने वाली फैक्टरी पकड़ी है। अवैध हथियारों की फैक्टरी के सरगना शमशाद के साथ 4 अन्य लोगों को 22 हथियारों सहित गिरफ्तार किया। यह गिरोह नाजायज़ तमंचे बनाने के साथ-साथ उनकी सप्लाई का भी काम करता है।

मौके पर पकड़े गए लोगों में जावेद पुत्र फैज मौहम्मद निवासी खालापार, शमशाद पुत्र नत्थू निवासी खालापार, दानिश पुत्र ताहिर निवासी मौहल्ला किदवई नगर (मुज़फ्फरनगर) तथा तसलीम पुत्र शमीम अहमद निवासी गांव दतियाना, थाना छपार हैं।

लोकसभा चुनाव में असामाजिक तत्वों की गैर कानूनी गतिविधियों और बदमाशों की धरपकड़ करने की मुहिम पुलिस हर चुनाव में चलाती है। अभी 27 मार्च को मुज़फ्फरनगर के मंसूरपुर थाने की पुलिस ने पुरबालियान के जंगल में चल रही अवैध शस्त्र फैक्टरी का भंडाफोड़ कर आबिद पुत्र मरगूब निवासी बझेड़ी को उपकरणों व अवैध हथियारों सहित पकड़ा था, जबकि छापे के दौरान उसके कुछ साथी फरार होने में कामयाब रहे।

यूंतो अवैध हथियारों का धंधा चलना ही नहीं चाहिए। किन्तु शातिर बदमाशों को नेताओं की सरपरस्ती से पूरे देश में यह धंधा खूब फलफूल रहा है। राजनीतिक संरक्षण के कारण पुलिस अपने कर्त्तव्यों का निष्ठापूर्वक पालन नहीं कर पाती। अजीब स्थिति है कि जैसे दीपावली आने पर नकली खोआ (मावा), नकली पनीर आदि बनाने-बेचने वालों पर छापेमारी की जाती है, ठीक वैसे ही नाजायज़ हथियार, असलाह की बरामदगी होती है। कभी सपा नेता मुलायम सिंह यादव ने मुस्लिमों की एक सभा में कहा था कि मुसलमान उच्च श्रेणी के दस्तकार होते हैं।

भगवाधारियों को यह नहीं भूलना चाहिए कि मुस्लिम हथियार बनाने में भी सिद्धहस्त हैं। नेता जी के इस कथन का क्या आशय था, समझने वाले समझ गए थे। पुलिस पर नेताओं का कितना दबाव रहता है, इसकी सच्चाई किसी न किसी मौके पर सामने आ जाती है। मुख्तार अंसारी की मौत के बाद डीएसपी शैलेन्द्र सिंह सहित डीजीपी रहे विक्रम सिंह और बृजलाल जैसे वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के बयानों से असलियत खुल रही है।

अवैध हथियारों का धंधा कई पक्षों के लिए लाभपद्र सिद्ध होता है, फिर भी जिन राष्ट्रवादी नेताओं के हाथ में सत्ता की बागडोर है, उन्हें राष्ट्रहित में इस धंधे का पूरी तरह उन्मूलन करना चाहिए।

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’

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