केंद्र सरकार की वैक्सीनेशन नीति को लेकर आज यानी सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने वाली थी, हालांकि अब ये सुनवाई टाल दी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई गुरुवार तक के लिए टाल दी है. अब कोर्ट गुरुवार को मामले की सुनवाई करेगा. इसी के साथ कोर्ट ने ये भी कहा है कि केंद्र की तरफ से दायर किए गए हलफनामे पर भी गौर करेगा.
केंद्र सरकार ने इस हलफनामे में अपनी वैक्सीनेशन नीति का बचाव किया है और कहा है कि इसमें कोर्ट के हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है. केंद्र सरकार ने कहा महामारी के चलते सभी को एक बार में टीका नहीं दिया जा सकता, ऐसे में वैक्सीन की सीमित उपलब्धता है, सबको समान रूप से टीका कैसे दिया जाए, इन सब चीजों पर विचार करके ही यह नीति बनाई गई थी. यह नीति न्यायसंगत है और किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया गया है.
केंद्र सरकार ने कहा, “नीति भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 21 के जनादेश के अनुरूप है और विशेषज्ञों, राज्य सरकार और वैक्सीन निर्माताओं के साथ विचार-विमर्श और चर्चा के कई दौर के बाद बनी है.” केंद्र ने कहा, ”हम पर विश्वास कीजिए, कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है.” केंद्र सरकार ने कहा कि उसने 50 प्रतिशत वैक्सीन की खरीद खुद करने की नीति बहुत सोच-विचार कर बनाई है. सुप्रीमकोर्ट ने पूछा था कि केंद्र वैक्सीन की 100 प्रतिशत खरीद खुद क्यों नहीं कर रहा?
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को हलफ़नामे में कहा 18-44 साल के लोगों के लिए राज्यों का वैक्सीन खरीदना सही है, 45 से अधिक के लोगों के लिए हम आपूर्ति करते रहेंगे. केंद्र सरकार ने हलफ़नामे में कहा 18-44 साल की उम्र के लोगों के लिए राज्य और निजी क्षेत्र वैक्सीन खरीद रहे हैं, केंद्र सरकार ने वैक्सीन कंपनियों से बात कर कीमत कम करवाई है.
केंद्र सरकार हलफ़नामे में कहा केंद्र ने वैक्सीन कंपनियों को वैक्सीन बनाने में कोई आर्थिक मदद नहीं दी है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि सभी राज्यों ने अपने नागरिकों को मुफ्त वैक्सीन देने की नीति तय की है. इसलिए, केंद्र की तरफ से सारा वैक्सीन खरीद कर राज्यों को न देने से नागरिकों का कोई नुकसान नहीं होगा.