चीन की दादागिरी: लद्दाख के डेमचौक में भारतीय चरवाहों को रोका

पैंगोंग झील इलाके में चीन और भारत के सैनिकों में हिंसक झड़प से पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध शुरू हुआ था। कई दौर की बैठकों के बाद भी ये गतिरोध अभी तक सुलझा नहीं है। इसके बावजूद चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन ने लद्दाख के डेमचौक इलाके में अपनी दादागिरी दिखाई है। यहां चीनी सैनिकों ने कुछ भारतीय चरवाहों को रोका है। 

रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसके बारे में जानकारी दी है। चीनी सेना(पीएलए) के सैनिकों ने डेमचौक में सीएनएन जंक्शन पर सैडल पास के पास स्थित चारागाह में जाने से भारतीय चरवाहों को रोक दिया। इतना ही नहीं चीन ने चरवाहों की मौजूदगी पर आपत्ति भी जताई है। ये घटना 21 अगस्त की बताई जा रही है। 

रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस घटना को लेकर दोनों देशों के सैन्य अफसरों के बीच कई बार वार्ता भी हो चुकी है। वरिष्ठ अधिकारी ने ये भी बताया कि चरवाहे इस इलाके में हमेशा से आते-जाते रहे हैं साल 2019 में इसे लेकर हाथा-पाई भी हुई थी। इस बार फिर से चीनी सैनिकों ने चरवाहों को लेकर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह उनका इलाका है। 

गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच सीमा पर गतिरोध पहले से ही चला आ रहा है। पैंगोंग झील इलाके में चीन और भारत की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प के बाद 5 मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध शुरू हो गया था। जिसके बाद दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे हजारों सैनिकों के साथ-साथ सीमा पर भारी हथियारों की तैनाती की थी। इस समय संवेदनशील क्षेत्र, वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर दोनों पक्षों के लगभग 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं। इस गतिरोध को दूर करने के लिए दोनों देशों के बीच कई बार वार्ता भी हो चुकी है, लेकिन कोई ठोस हल नहीं निकल सका है। हाल ही में दोनों देशों के बीच कोर कमांडर स्तर के 16वें दौर की वार्ता (India-China military talks) हुई थी।

साझीदार के तौर पर एकसाथ आना चाहिए : सुन वीदोंग
भारत में चीन के राजदूत सुन वीदोंग ने रविवार को कहा कि भारत और चीन को प्रतिद्वंद्वी की बजाए साझीदार के तौर पर एकसाथ आना चाहिए। उन्होंने यह बात ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चीन के आंतरिक मामलों में अमेरिका के दखल’ विषय पर हुए सम्मेलन से इतर कही। भारत-चीन मैत्री संघ, कर्नाटक ने यह कार्यक्रम किया था। 

चीनी राजदूत ने कहा कि वह यहां मित्रता के लिए आए हैं। यहां और पूरे भारत में हमारे बहुत मित्र हैं। हालांकि पिछले दो साल से दोनों देश कुछ दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। दोनों देशों की कोशिशों के चलते हमारे संबंधों में कुछ प्रगति हुई है। इस साल राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को बधाई पत्र भी भेजा। साथ ही चीन की मेजबानी में हुए ब्रिक्स सम्मेलन में दोनों देशों के नेताओं ने शिरकत की। हमारे विदेश मंत्री वांग यी ने इस साल मार्च में भारत का दौरा किया और उन्होंने इंडोनेशिया में विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर से मुलाकात की थी।

उन्होंने कहा कि हमने भारत-चीन संबंधों पर साझा आधार पाए हैं क्योंकि हम सभी का मानना है कि भारत-चीन के संबंध हमारे दोनों देशों, हमारे नागरिकों और क्षेत्र व दुनिया के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हमें प्रतिद्वंद्वी की बजाए साझीदार के तौर पर एकसाथ आना चाहिए।

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