कर्नल मनप्रीत: तीन पीढ़ियां कर चुकी है देश की सेवा, मनप्रीत ने दिया सर्वोच्च बलिदान

जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में आतंकियों से मुठभेड़ में मोहाली के मुल्लांपुर के साथ लगते गांव भड़ौंजिया के कर्नल मनप्रीत सिंह (41) शहीद हो गए हैं। उनकी शहादत की खबर जैसे ही गांव पहुंची मातम छा गया। गांव वालों की आंखें नम थीं। हर कोई उनकी बहादुरी के चर्चे कर रहा था। उनका  शव आज दोपहर मोहाली पहुंचने की संभावना है। अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव में ही किया जाएगा।

परिजनों ने बताया कि कर्नल मनप्रीत ने कई बार अदम्य साहस का परिचय देते हुए दुश्मनों के छक्के छुड़ाए थे। इस बहादुरी के लिए भारतीय सेना ने उन्हें सेना मेडल से अलंकृत किया था। उनकी मां मनजीत कौर ने बताया कि मनप्रीत बचपन से ही पढ़ने में होशियार था। उसकी पढ़ाई मुल्लांपर स्थित एयरफोर्स स्टेशन के पास बने केंद्रीय विद्यालय में हुई थी।

मनप्रीत वर्ष 2003 में सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल बने थे। वर्ष 2005 में उन्हें कर्नल के पद पर पदोन्नत किया गया था। इसके बाद उन्होंने देश के दुश्मनों को मार गिराने के लिए चलाए गए भारतीय सेना के कई अभियानों का नेतृत्व किया। छोटे भाई संदीप सिंह ने बताया कि कर्नल मनप्रीत सिंह वर्ष 2019 से 2021 तक सेना में सेकंड इन कमांड के तौर पर तैनात थे। बाद उन्होंने कमांडिंग अफसर के रूप में काम किया।

परिवार तीन पीढ़ियों से कर रहा देश की सेवा
कर्नल मनप्रीत अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी थी जो सरहद पर देश की सेवा कर रही थी। कर्नल मनप्रीत सिंह के दादा शीतल सिंह, पिता स्व. लखमीर सिंह और चाचा रणजीत सिंह भी भारतीय सेना में थे। पिता ने सेना से सेवानिवृत्त के बाद उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी में सुरक्षा सुपरवाइजर की नौकरी की। उनके निधन के बाद उनके छोटे बेटे संदीप सिंह (38) को वहां जूनियर असिस्टेंट की नौकरी मिल गई थी।

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