सुप्रीम कोर्ट की अवमानना से जुड़े एक मामले का सामना कर रहे स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने सर्वोच्च अदालत में कहा है कि देश के शीर्ष न्यायालय में आम जनता का भरोसा कम करने की मंशा से मैंने ट्वीट्स नहीं किए थे। साथ ही कुणाल कामरा ने सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगने से इनकार कर दिया है। कामरा ने अपने हलफनामे में कहा है कि क्या शक्तिशाली लोगों और संस्थानों को फटकार या आलोचना बर्दाश्त करने में असमर्थता जताते रहना चाहिए? हम असंगठित कलाकारों के देश में कम हो जाएंगे और लैपडॉग के उत्कर्ष करेंगे।
कामरा ने अपने हलफनामे में कहा कि चुटकुले वास्तविकता नहीं है और वो ऐसा होने का दावा नहीं करते हैं। कॉमेडियन के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि चुटकुलों के लिए कोई बचाव की आवश्यकता नहीं है और यह हास्य अभिनेता की धारणा पर आधारित है। गौरतलब है कि कुणाल कामरा सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ अभद्र एवं अपमानजनक ट्वीट करने के कारण अदालत की अवमानना का सामना कर रहे हैं।
हलफनामे में कामरा ने आगे कहा कि मेरा ट्वीट न्यायपालिका में लोगों के विश्वास को कम करने के इरादे से नहीं है। ऐसे में अगर सुप्रीम कोर्ट मानता है कि मैंने एक लाइन पार कर ली है और मेरे इंटरनेट को अनिश्चित काल के लिए बंद करना चाहता है तो मैं भी अपने कश्मीरी दोस्तों की तरह हर 15 अगस्त को हैप्पी इंडिपेंडेंस डे पोस्ट कार्ड लिखूंगा। उन्होंने कहा है कि लोकतंत्र में सत्ता की किसी भी संस्था को आलोचना से परे मानना तर्कहीन और अलोकतांत्रिक है।
अपने हलफनामे में कामरा ने इस बात पर जोर दिया कि न्यायपालिका में जनता का विश्वास संस्था की अपनी क्रियाओं के कारण होता है, न कि इसके बारे में किसी आलोचना अथवा टिप्पणी से। उन्होंने कहा कि ऐसा मानना कि मेरे ट्वीट से दुनिया के सबसे शक्तिशाली कोर्ट की नींव हिल जाएगी, इतनी मेरी क्षमता नहीं है। जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट लोगों के भरोसे का सम्मान करती है, वैसे ही उसे इस बात पर भी यकीन करना चाहिए ताकि ट्विटर पर कुछ जोक्स के आधार कोर्ट कोई राय कायम न करे।