सम्पूर्ण समाधान दिवस की नौटंकी !

सम्पूर्ण समाधान दिवस के रूप में आम आदमी को बहकाने, फुसलाने, उलझाने की कवायद उत्तर प्रदेश में दशकों से जारी है। समाधान के नाम पर तहसील मुख्यालयों पर सरकारी अमला इकट्ठा होता है। 60,70,80 शिकायतों में से सिर्फ दो-चार शिकायतों का ही समाधान हो पाता है। शाम को मीडिया को बता दिया जाता है कि हमने बड़ा तीर मार दिया है। यदि वर्ष भर का तखमीना निकाला जाय तो 10 प्रतिशत शिकायतों के समाधान का औसत भी नहीं निकलेगा। समाधान दिवस अखबारों में अपनी खबर और फोटो छपवाने से अधिक कुछ नहीं है।

समाधान के नाम पर सरकारी महकमे और ओह‌देदार शिकायतकर्ताओं को बेहिचक हलकान-परेशान करते हैं और तहसील तथा दूसरे कार्यालयों के चक्कर कटाते हैं। मुजफ्फरनगर की जानसठ तहसील में 2 मार्च, 2024 को हुआ हादसा सम्पूर्ण समाधान दिवस की व्यर्थ की कवायद की पोल खोलता है।

जानसठ तहसील के ग्राम कम्हेड़ा निवासी नरेन्द्र सिंह पुत्र धूम सिंह के रास्ते पर गांव के कुछ दबंगों ने जबरन कब्जा कर लिया था। नरेन्द्र सिंह कब्जाये रास्ते को मुक्त कराने की फरियाद लेकर तहसील में होने वाले सम्पूर्ण समाधान दिवसों में बार-बार चक्कर काटता रहा। जानसठ की पुलिस भी उसे टरकाती रही। सरकारी विभागों और अधिकारियों की टालमटोल से तंग आकर नरेन्द्र सिंह ने मर जाना ही मुनासिब समझा। जब तहसील में सम्पूर्ण समाधान दिवस की मीटिंग चल रही थी, तब सरकारी अधिकारियों के रवैये से परेशान व हताश किसान नरेन्द्र सिंह ने अपने ऊपर डीजल छिड़‌ककर आत्महत्या करने की कोशिश की। पुलिस का उस पर अहसान है कि नरेन्द्र सिंह पर आत्महत्या का केस दर्ज कर उसे जेल नहीं भेजा।

यह सरकारी मशीनरी के नाकारापन और जनता जनार्दन तथा सरकार की आंखों में धूल झोकने की स्थायी प्रवृति का उदाहरण है। ऐसा पूरे उत्तरप्रदेश में होता है। क्या मुख्यमंत्री योगी जी उन सरकारी बाबुओं को दंडित करेंगे जिनकी नाअहली के कारण नरेन्द्र सिंह को आत्महत्या करने को मजबूर होना पड़ा?

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’

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