श्मशानों में प्रदूषण कम करने को लेकर आधुनिक तरीकों पर गौर करें: अदालत

मुंबई. बम्बई उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि कोविड-19 की मौजूदा स्थिति और मौतों की संख्या में वृद्धि को देखते हुए निकाय प्राधिकारियों को प्रदूषण कम करने के लिए श्मशानों में शवों के अंतिम संस्कार में आधुनिक तकनीकों की संभावना तलाशनी चाहिए। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्त और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की खंडपीठ पुणे निवासी विक्रांत लाटकर की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। इस याचिका में श्मशानों के पास के इलाकों में वायु प्रदूषण पर चिंता जतायी गई थी।

लाटकर के अधिवक्ता असीम सरोदे ने बृहस्पतिवार को अदालत को बताया कि वर्तमान में पुणे में कुछ श्मशानों में प्रतिदिन 80 से अधिक शवों का दाह संस्कार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इससे आसपास के क्षेत्र में बहुत अधिक प्रदूषण होता है। याचिका में कहा गया है कि कई श्मशानों की चिमनी का निर्माण मानक डिजाइन के अनुसार नहीं किया गया है, जिसके कारण निकलने वाला धुआं ऊपर की ओर नहीं जाता है।

पीठ ने पुणे नगर निगम की ओर से पेश अधिवक्ता अभिजीत कुलकर्णी को याचिका के जवाब में एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।

पीठ ने कहा, ‘‘श्मशानों को प्रभावी ढंग से काम करना चाहिए, विशेष तौर पर अब। वास्तव में, सभी निकाय प्राधिकारियों को इसके लिए अब आधुनिक तकनीकों पर गौर करना चाहिए कि प्रदूषण को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है।’’

अदालत ने मामले पर अगले सप्ताह सुनवाई करना निर्धारित किया। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, बुधवार को महाराष्ट्र ने कोविड-19 के 46,781 नए मामले सामने आये थे जिससे राज्य में संक्रमितों की कुल संख्या बढ़कर 52,26,710 हो गई, जबकि 816 और मरीजों की मौत होने से मृतक संख्या बढ़कर 78,007 हो गई। 

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