डॉ. महेश प्रसाद मेहरे, डॉ. मोहनलाल अग्रवाल, डॉ. हरिमोहन का योगदान

26 नवंबर: कल हमने देश के श्रेष्ठ नेत्र चिकित्सक डॉ. एस. एस. बद्रीनाथ के दिवंगत होने पर उन्हें श्रद्धा-सुमन अर्पित किये थे। डॉ. बद्रीनाथ का नाम लेते ही भारत के उन महान नेत्र चिकित्सकों के नाम भी स्वतः ज़ेहन में घूम जाते हैं जिन्होंने अपनी कुशलता व कार्यदक्षता एवं सेवा भावना से विश्व भर में भारत का नाम ऊंचा किया। इन चिकित्सकों में डॉ. महेश प्रसाद मेहरे, डॉ. मोहनलाल अग्रवाल तथा डॉ. हरिमोहन (मुज़फ्फरनगर) का नाम सबसे अग्रणी है।
1950-60 के दशकों में नेत्र चिकित्सा एवं आँखों के ऑपरेशन देश के चंद अस्पतालों तक ही सीमित थे। उत्तर प्रदेश में सीतापुर व अलीगढ़ के आँखों के अस्पतालों का नाम बड़ा प्रसिद्ध था।
एक घटना का उल्लेख करना चाहेंगे। 1960 के दशक की ‘बात है। पिताश्री राजरूप सिंह वर्मा संपादक ‘देहात’ को आकाशवाणी दिल्ली के कृषि विभाग के डायरेक्टर प्रताप सिंह (ताऊ झगडू फतहपुर गाम वाला) ने रेडियो पर वार्ता प्रस्तुत करने को बुलाया था। उन्हें अपना पेपर पढ़‌ते समय कुछ कठिनाई महसूस हुई। मुजफ्फरनगर लौट कर आँखें दिखाई तो आँखों में सफेद मोतियाबिन्द का पत्ता चला । मुजफ्फरनगर में जमींदारा एसोसिशन ने एक नेत्र चिकित्सालय बनाया हुआ था। जिले की सहकारी गन्ना समितियां इसके संचालन में आर्थिक सहयोग करती थीं। अस्पताल में आँखों के ऑपरेशन होते थे। पिताश्री को सुझाव दिया गया कि वे वहां ऑपरेशन करा लें।

इसी बीच सीतापुर में ‘देहात’ के संवाददाता तीरथ राम भसीन को पिताश्री की आँखों में मोतियाबिन्द होने का पता चला तो उन्होंने सीतापुर नेत्र चिकित्सालय में डॉ. महेश प्रसाद मेहरे से ऑपरेशन कराने का आग्रह किया। पिताश्री सीतापुर गये और ऑपरेशन सफल रहा। पिताश्री ने डा. मेहरे की सिद्धहस्तता, रोगी के प्रति उच्च भावना को नज़दीक से देखा, यह बताया कि डॉ. मेहरे रात्रि के दो बजे भी वार्डों का निरीक्षण करते थे। सीतापुर के लोग डॉ. मेहरे को ईश्वर के समान पूजते थे ।

डॉ. महेश प्रसाद मेहरे मूलरूप से प्रयागराज (इलाहाबाद) के निवासी थे किन्तु इंग्लैंड से नेत्र चिकित्सा में उच्च डिग्री हासिल करने के बाद सीतापुर के खैराबाद कस्बे में सन 1926 में छोटा सा नेत्र चिकित्सालय खोला। बाद में इसे जिला मुख्यालय सीतापुर स्थानान्तरित कर दिया । देश भर में सीतापुर अस्पताल की 32 शाखायें स्थापित हुई थीं। डॉ. मेहरे के हाथों में जादू था। उनकी सर्जरी की महारत ऐसी थी कि राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन, प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु, लाल बहादुरशास्त्री, इंदिरा गांधी जैसी हस्तियों ने डॉ. मेहरे से अपनी आँखों का ऑपरेशन कराया। डॉ. मेहरे की सेवाभावना से प्रभावित होकर महामना मदन मोहन मालवीय, पुरुषोत्तम दास टंडन, देशबंधु चितरंजन दास जैसे सैकड़ों विशिष्टजन सीतापुर अस्पताल ऐसे पहुंचते थे मानो किसी मंदिर की परिक्रमा करने आये हों। डॉ. मेहरे को भारत सरकार ने पद्मश्री व पद्मभूषण सम्मान प्रदान किया था।

डॉ. महेश प्रसाद मेहरे के पश्चात सीतापुर अस्पताल की स्थिति में गिरावट की खबरें आयीं लेकिन फिर भी यह संसार के श्रेष्ठ नेत्र चिकित्सालयों की श्रेणी में शामिल है। 23 नवंबर 2020 को सीतापुर नेत्र चिकिसालय को विश्व के श्रेष्ठ अस्पताल का दर्जा दिया गया। 2500 शैयाओं वाले इस विशाल अस्पताल में वर्ष 2022 में ओ. पी. डी. में दो लाख मरीज देखे गए और 17 हजार मरीजों की आंखों की सर्जरी हुई। डॉ. मेहरे ने खैराबाद में जो छोटा सा अस्पताल खोला था वह विशाल चिकित्सालय बन चुका है और जिसका उल्लेख प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘मन की बात’ में किया है।

यह बताना चाहेंगे कि पिताश्री का मोतियाबिन्द का ऑपरेशन डॉ. मेहरे की देख-रेख में कुशलशल्य चिकित्सक डॉ. जेएम पाहवा ने किया था। कुछ समय बाद डॉ. पाहवा अलीगढ़ के गांधी नेत्र चिकित्सालय में चले आए थे। इस प्रसिद्ध अस्पताल की स्थापना डॉ. मोहनलाल ने सन् 1928 में रसलगंज में की थी। डॉ. मोहनलाल आस्ट्रेलिया से नेत्र चिकित्सा की उच्च शिक्षा लेकर भारत लौटे। वे कुशल शल्य चिकित्सक थे जिनकी शोहरत पूरे भारत में फैल गई। सन् 1936 में उन्होंने अलीगढ़ में 28 बीघा जमीन खरीद कर बड़ा अस्पताल स्थापित किया। 18 बीघा भूमि डॉक्टरों व स्टाफ के आवास के लिए खरीदी।

डॉ. मोहनलाल की गणना विश्व के श्रेष्ठ सर्जनों में होती थी। उनका उत्साहवर्द्धन और सराहना करने देश के चोटी के नेता, विद्वान् और प्रमुख समाजसेवी अलीगढ़ आकर उनसे मिलते और अस्पताल का दौरा करते थे। नेताजी सुभाषचन्द्र बोस, भारत के पहले राष्ट्र‌पति बाबू राजेन्द्र प्रसाद, ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, जवाहरलाल नेहरु, आचार्य जे. बी. कृपालानी , सुचेता कृपालानी, सी. बी. गुप्ता, कल्याण सिंह आदि विशिष्टजनों ने डॉ. मोहनलाल की सेवाओं की मुक्तकंठ से सराहना की। डॉ. साहब को पद्मश्री, पद्मभूषण से नवाजा गया और उन्हें विश्व तथा राष्ट्र स्तर के अनेक सम्मान प्राप्त हुए। भारत के एक अन्य कुशल नेत्र चिकित्सक डॉ. जे. एम. पाहवा की गिनती भी श्रेष्ठ सर्जनों में होती थी। उन्होंने पिताश्री की दूसरी आँख का ऑपरेशन अलीगढ़ अस्पताल में किया था।

भारत के विश्व प्रसिद्ध नेत्र चिकित्सकों में मुजफ्फरनगर के आई सर्जन डॉ. हरिमोहन का नाम भी सम्मिलित है। उन्हें राष्ट्र‌पति का नेत्र चिकित्सक होने और इंग्लॅण्ड जैसे विकसित देश में आँखों के ऑपरेशन करने का सौभाग्य प्राप्त था।

सन् 1952 में लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज से डिग्री लेने के पश्चात डॉ. हरिमोहन ने लंदन से डीओ तथा एडिनबरा से एफआरसीएस किया और 1956 में भारत लौटे।
दिल्ली के इरविन तथा होली फैमिली अस्पतालों में सर्जन के रूप में काम किया। मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज दिल्ली में ऑनरेरी प्रोफेसर रहे। काला मोतिया की सर्जरी में उनका कोई सानी न था। उन्हें आधुनिक नेत्र चिकित्सा के आधार स्तम्भ के रूप में जाना जाता है। सन् 1968 में डॉ. हरिमोहन को राष्ट्रपति का नेत्रचिकित्सक नियुक्त किया गया। सन् 1971 में राष्ट्रपति ने उन्हें पद्मश्री से अलंकृत किया। 1996 में रॉयल कॉलेज ऑफ आथलमीलोजिस्ट् (यूके) ने उन्हें एमआरसीओ से नवाजा। 1996 में राष्ट्रपति महोद‌य ने देश के सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान-डॉ. बीसी राय सम्मान प्रदान किया। 2002 में ग्लासगो कॉलेज से डॉ. हरिमोहन को सर्वोच्च सम्मान प्राप्त हुआ। डॉ. हरिमोहन चार दशकों तक विश्व के श्रेष्ट नेत्र चिकित्सक के रूप में कार्यरत रहे। उन्होंने मुजफ्फरनगर के नाम को देश के कोने-कोने और विदेशों तक पहुंचाया। मुजफ्फरनगर जनपद डॉ. हरिमोहन का सदा आभारी रहेगा।

“देहत” डॉ. महेश प्रसाद मेहरे, डॉ. मोहनलाल अग्रवाल, डॉ. जे. एम. पाहवा और डॉ. हरिमोहन की स्मृति में उन्हें प्रणाम करता है।

जब आँखों के श्रेष्ठ अस्पतालों का ज़िक्र आता है तो गाज़ियाबाद के वरदान अस्पताल को भूला नहीं जा सकता। वरदान ने 50 लाख लोगों की आँखों का ऑपरेशन कर अपने नाम को सार्थक किया है। कमल जी की सेवा और पुरुषार्थ को सदा याद रखा जायेगा। मुज़फ्फरनगर में पूर्व विधायक डॉ. सुरेश संगल ने दीर्घकाल तक वरदान के माध्यम से आंख के रोगियों की जो सेवा-सहायता की वह अति प्रशंसनीय है।

गोविन्द वर्मा

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