खुद को कट्टर ईमानदार बताने वाले देश के सबसे बड़े धूर्त और लबाड़ी (यह शब्द शायद हिन्दी के शब्दकोश में न मिले किन्तु लगातार झूठ बोलने और डींगें हांकने वाले शख्स को लोकभाषा में लबार या लबाड़ी बोला जाता है। यह एक देसज शब्द है)। अरविन्द केजरीवाल की मक्कारी व बेईमानियों की पोल देश के अन्य लपाटी नेताओं के मुकाबले जल्द खुल गई है। अरविन्द केजरीवाल सब्जबाग दिखाकर लूट-खसोट करने वाले पेशेवर लोगों का सरताज है। यह वहीं व्यक्ति है जिसने मतदाताओं को बहकाने के लिए पहले एक लम्बी चौड़ी ब्रांडेड टोपी ईजाद की और गले में मफलर बांध कर पूरी नौटंकी की। नये-नये स्वांगों से उसे कुर्सी मिल गई। बिजली के खम्भे पर चढ़कर नये-नये ड्रामें करने वाला मयूर विहार के दो कमरों का मकान छोड़ने वाला 50 करोड़ रुपये के शीशमहल में रहने लगा।
कोरोना काल में इसका एक मंत्री बिहारी मजदूरों को सरकारी बसों में भर-भरकर आनंद विहार बस अड्डे पर छोड़ने लगा और उनकी खाली झोपड़पट्टी पर अपने चमचों के कब्जे करा दिये। इसके मंत्री के घर से कोरोना काल में 600 ऑक्सीजन सिलेंडर पकड़े गए। रोज़ ऑक्सीजन की फर्जी सप्लाई के गलत आंकड़े पेश किये। अदालत ने ऑडिट कराने की वार्निंग दी तो चुप हुआ, लेकिन थोड़ी देर के लिए ही। इसके मौहल्ला क्लीनिक की 7 लाख रुपये की दवायें मन्सूरपुर (मुजफ्फरनगर) में पकड़ी गईं। शराब पॉलिसी हो या टैंकरों से पेयजल की आपूर्ति, हर कदम पर फ्रॉड ही फाँड। जहांगीरपुरी के दंगों का मास्टर माइंड हो या शाहीन बाग का मज़हबी दंगाई, सारे गद्दारों की पीठ थपथपाता रहा। कश्मीर में इस्लामिक कट्टरपंथियों के शिकार लाखों कश्मीरी पंडितों के साथ हुये बर्बर अत्याचारों की विधानसभा में हंस-हंस कर खिल्ली उड़ाई। मीडिया का मुंह बन्द करने (या अपनी चापलूसी के लिए) मीडिया का बजट 15 करोड़ से बढ़ा कर 550 करोड़ रुपये कर दिया। कमीशन खाने के लिए बिचौलिया विज्ञापन कम्पनी भी अपने अजीज को खुलवा दी।
ऐसे मक्कार आदमी को माननीय सुप्रीम कोर्ट ने 21 नवंबर, 2023 को दो मामलो में जोरदार झटके दिए। जस्टिस संजय किशन व जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने केजरीवाल को फटकारा। कोर्ट ने कहा- दिल्ली व पंजाब में पराली फूंकने को लेकर किसानों का अपमान क्यूं कर रहे हैं? कम से कम उन्हें हरियाणा सरकार से ही सबक लेना चाहिए कि किसानों की मदद कैसे की जाती है। एक दूसरे केस में जस्टिस संजय किशन कौल व जस्टिस सुधांशु धुलिया की पीठ ने रीजनल रेपिड ट्रांजिट सिस्टम (रेपिड रेल) में अंशदान का भुगतान न करने पर अरविन्द केजरीवाल को फटकारा। कोर्ट ने कहा- दिल्ली सरकार को अपने हिस्से के 425 करोड़ रुपये देने हैं। उनका एक वर्ष का मीडिया बजट 550 करोड़ रुपये का है। तीन वर्षों में केजरीवाल अपने प्रचार पर 1100 करोड़ रुपये खर्च कर चुके हैं। पैसा न होने का बहाना झूठा है।
लेकिन या बेशर्मी तेरा ही आसरा की नीति का अनुसरण करने वाले केजरीवाल पर अदालत की फटकार का क्या कुछ असर पड़ेगा?
गोविन्द वर्मा