इटावा: चंबल नदी में नहाते समय मगरमच्छ खींच ले गया, मचा हड़कंप


इटावा जिले के भरेह थाना क्षेत्र के हरपुरा गांव में सोमवार दोपहर चंबल नदी में नहाते समय एक किशोर को मगरमच्छ खींच ले गया। किशोर ने खुद को बचाने के लिए संघर्ष भी किया पर कामयाब नहीं हो सका। छोटे भाई ने ही परिजनों को घटना की जानकारी दी। देर शाम तक प्रशासन व पुलिस नदी में नौकाओं और मोटरबोट के सहारे किशोर की खोज करती रहीं। 

हरपुरा गांव निवासी महिपाल सिंह मल्लाह ने बताया कि उनके दोनों पुत्र बड़ा अनुज (16) व छोटा हिमांशु (12) रोज की भांति नदी किनारे भैंसों को लेकर चराने व पानी पिलाने गए हुए थे। दोपहर के समय दोनों भाई भैंसों को पानी पिलाने के बाद नदी के किनारे बैठकर नहाने लगे।
इसी दौरान नदी से निकले मगरमच्छ ने अनुज का हाथ अपने जबड़े में जकड़ लिया और उसे खींच कर नदी में ले गया। हिमांशु ने घर आकर जानकारी दी। इसके बाद महिपाल ने इसकी सूचना थाना पुलिस को दी तो घटनास्थल पर उपजिलाधिकारी चकरनगर सत्य प्रकाश मिश्रा, क्षेत्राधिकारी पुलिस मस्सा सिंह के निर्देश पर थानाध्यक्ष महेंद्र प्रताप सिंह ने मोटरबोट व नौकाओं से किशोर की खोजबीन शुरू कर दी।
ग्रामीण व प्रशासन की पुलिस प्रशासन की मदद से दूर-दूर तक नदी में किशोर की तलाश की गई, लेकिन समाचार लिखे जाने तक उसका पता नहीं चल सका था। परिजनों को प्रशासन ने भरोसा दिलाया कि अनुज की खोजबीन में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं बरती जाएगी।
देर रात तक स्थानीय प्रशासन ने नदी में खोजबीन जारी रखी। हालांकि इस घटना से आसपास के गांव में सन्नाटा छाया हुआ है। थानाध्यक्ष महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि यदि रात तक किशोर बरामद नहीं होता है तो सुबह जाल आदि डालकर तलाश की जाएगी। 

नदी में खींचे जाने तक किया संघर्ष 
अनुज के छोटे भाई हिमांशु से जब बात की गई तो वह घटना को याद कर सिहर उठा। उसने बताया कि हम दोनों भैंसों को नदी में नहला रहे थे और खुद भी गर्मी के कारण नहा रहे थे। उसी दौरान पीछे से मगरमच्छ ने आकर भाई पर हमला कर दिया। मगरमच्छ ने अनुज का एक हाथ अपने जबड़े में जकड़ लिया।

इसके बाद भी अनुज छूटने का प्रयास काफी देर तक करता रहा। मगर ने अनुज का हाथ अपने मुंह में बहुत जोर से दबा रखा था। पूरा हाथ मुंह में दबाकर मगरमच्छ ने एक झटके में अनुज को नदी में खींच लिया। इसके बाद भाई चीखता-चिल्लाता हुआ नदी की गहराइयों में मगरमच्छ के साथ गायब हो गया। भाई ने लगभग 15-20 मिनट तक संघर्ष किया। उसने बताया कि मगर के मुंह में पीतल का एक बड़ा सा छल्ला पड़ा हुआ था। 

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