पंजाब में भी बड़े पैमाने पर ओलावृष्टि से फसले बरबाद

शनिवार रात को बारिश व ओलावृष्टि के कारण पंजाब में किसानों को दोहरी मार पड़ी है। जहां मंडियों में खुले में पड़ी धान की फसल पानी में तैरती दिख रही थी वहीं खेतों में तैयार खड़ी धान, मक्की, कपास, गन्ना सहित सब्जियों की फसलों को काफी नुकसान हुआ है। नुकसान बासमती की फसल को भी हुआ है और 1121 के दाने जमीन पर गिरने लगे हैं। बासमती की कटाई अब संभव नहीं है, फसल जमीन पर बिछ गई है।

नवंबर में पंजाब में मटर की फसल भी मंडी में आने लगती है, उसको भी भारी नुकसान पहुंचा है। सेम फली का भी नुकसान हुआ है। साथ ही पलमन धान की फसल की कटाई चल रही थी, जो अब देरी से होने की संभावना है। नमी वाला मौसम होने के कारण धान में नमी तो पहले ही नहीं कम हो रही, अब बारिश व ओलावृष्टि से धान की नमी और बढ़ जाएगी। जिससे किसानों को फसल मंडी में बेचने में दिक्कत का सामना करना पड़ेगा।

करवाचौथ व्रत के दिन रविवार को लुधियाना, जालंधर सहित कई जिलों में जमकर बारिश हुई। शनिवार देर रात करीब 12 बजे 40 से 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के साथ पहले आंधी आई। जिससे खेतों में खड़ी धान व बासमती की फसल जमीन पर बिछ गई। इसके बाद करीब एक बजे एकाएक बारिश ने दस्तक दी। 

तेज बारिश के बीच करीब चार बजे ओलावृष्टि भी शुरू हो गई, जो सुबह छह बजे तक जारी रही। किसान नेता बलवंत सिंह शाहकोट ने कहा कि धान में नमी कम और खरीद एजेंसियों का नखरा ज्यादा होता है जिससे वे परेशान हैं। अब उनकी मांग है कि धान मंडी में पहुंचते ही खरीद लिया जाए ताकि वे लोग आगे की खेती में काम कर सके। धान खरीद में एजेंसी द्वारा मुश्किल पैदा करना और धान में ज्यादा नमी बताकर किसानों को तंग करने से गेहूं की बिजाई पर भी असर होगा।

दरअसल, खरीद एजेंसियां एफसीआई धान के नमूनों में 17 फीसदी नमी को स्वीकृति योग्य सीमा बताती है और जबकि पंजाब में 18 से 22 फीसदी और हरियाणा में 18.2 से 22.7 फीसदी के बीच नमी पाई गई है। अब बारिश होने से यह नमी मंडी में पड़ी धान की फसल की नमी 25 फीसदी तक हो जाएगी, जिससे खरीद नहीं हो सकेगी। पंजाब में इस साल करीब 30 लाख हेक्टेयर रकबे में धान की रोपाई की गई है। यह रकबा पिछले सीजन के मुकाबले करीब तीन लाख हेक्टेयर ज्यादा है। 

रकबे में बढ़ोतरी के कारण इस बार धान की 20 से 30 लाख टन ज्यादा पैदावार होने की उम्मीद है। इस कारण धान की पैदावार 190 लाख टन से 200 लाख टन का आंकड़ा छू सकती है। अभी तक मंडियों में सिर्फ 65 लाख टन ही मंडियों में धान आ सका है। बाकि धान की फसल अभी खेतों में ही पड़ा है। अभी सरकार की खरीद प्रक्रिया चल रही है। धान की कटाई व खरीद दोनों देरी से शुरू हुए हैं और खरीद के बाद से तीन बार बारिश के कारण किसानों की फसल की कटाई में देरी होती जा रही है। किसान नेता बलवंत सिंह का कहना है कि आगे ही केंद्र सरकार ने खरीद देरी से शुरू की है दूसरा बेमौसमी बारिश से धान की फसल का नुकसान हुआ है। 

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