हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने दैनिक वेतन भोगियों से जुड़े मामले में अहम निर्णय सुनाया है। अदालत ने दैनिक वेतन भोगी पर आठ वर्ष पूरे करने पर वर्कचार्ज स्टेटस देने के आदेश दिए हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि याचिका दायर करने से पहले के तीन साल का बकाया राज्य सरकार को अदा करना पड़ेगा। मुख्य न्यायाधीश एए सैयद और न्यायाधीश सबीना ने राज्य सरकार की अपील को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट की एकलपीठ ने छह मार्च 2021 को सूरजमणी की याचिका को स्वीकार किया था। एकल पीठ ने उसे दैनिक वेतन भोगी के तौर पर आठ वर्ष का कार्यकाल पूरे करने पर वर्कचार्ज स्टेटस देने का निर्णय सुनाया था। इस निर्णय को राज्य सरकार ने अपील के माध्यम से खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी थी। दैनिक वेतन भोगी पर आठ वर्ष पूरे होने पर वर्कचार्ज स्टेटस ने देने पर 572 कर्मचारियों ने हाईकोर्ट के समक्ष याचिकाएं दायर की थीं।
राज्य सरकार ने सेवारत अथवा सेवानिवृत्त कर्मचारियों की मांगों का विरोध करते हुए दलील दी थी कि इन कर्मचारियों ने समय रहते अदालतों का दरवाजा नहीं खटखटाया है। कर्मचारियों ने ट्रिब्यूनल के समक्ष अपने नियमितीकरण के लिए देरी से याचिकाएं दायर की हैं। कर्मचारियों को प्रशासनिक ट्रिब्यूनल अधिनियम के प्रावधानों के मुताबिक वे इन मामलों को देरी से दाखिल नहीं कर सकते थे। यह भी दलील दी गई कि देरी से अपनी मांगों को उठाने के लिए कारण दिया जाना अति आवश्यक था। दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की ओर से दलील दी गई कि उनके मामले प्रदेश उच्च न्यायालय की ओर से पारित राकेश कुमार व अश्वनी कुमार के निर्णय के अंतर्गत आते हैं । राज्य सरकार का दायित्व बनता था कि वह समय पर अपने ही नीतिगत फैसले पर ईमानदारी से अमल करते हुए उनकी सेवाओं को नियमित करती। कल्याणकारी सरकार से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह अपने कर्मचारियों को उनकी मांगों के लिए अदालत में जाने के लिए मजबूर करे। खंडपीठ ने दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की दलीलों से सहमति जताते हुए यह निर्णय सुनाया।
2003 से पहले वर्कचार्ज स्टेटस वाले कर्मी पेंशन के हकदार
हाईकोर्ट ने इससे पहले निर्णय दिया है कि 2003 से पहले वर्कचार्ज स्टेटस वाले कर्मी पेंशन के हकदार हैं। पेंशन का लाभ नहीं दिया जाना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का सरासर उल्लंघन है। हाईकोर्ट वर्कचार्ज से नियमितीकरण की अवधि पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभ के लिए गिने जाने का आदेश पारित कर चुका है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि वर्कचार्ज की अवधि पेंशन के लाभ दिए जाने के लिए गिने जाने पर उसकी सेवाएं पेंशन नियम से शासित होगी।
हाईकोर्ट में 13 जनवरी को होगी सीमेंट प्लांट बंद करने के मामले में सुनवाई
प्रदेश हाईकोर्ट ने बरमाणा और दाड़लाघाट में सीमेंट प्लांट बंद करने के मामले पर सुनवाई आज निर्धारित की है। इस मामले पर गुरुवार को सुनवाई नहीं हो सकी। मुख्य न्यायाधीश एए सैयद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ के समक्ष मामले को सूचीबद्ध किया गया है। याचिकाकर्ता रजनीश शर्मा ने मैसर्ज अदानी ग्रुप की ओर से सिमेंट प्लांट को बंद करने के निर्णय को चुनौती दी है। आरोप लगाया गया था कि मैसर्ज अदानी ग्रुप ने एकाएक दोनों प्लांट बंद कर दिए। इस व्यवसाय से जुड़े हजारों परिवारों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया गया है। याचिका के माध्यम से दलील दी गई थी कि बरमाणा सिमेंट प्लांट में 4000 ट्रक सिमेंट ढुलाई के कार्य में लगे थे। इसी तरह दाड़लाघाट में भी 3500 परिवारों का गुजारा सिमेंट ढुलाई से ही चलता था। आरोप लगाया गया था कि ये सारे ट्रक अब सड़क पर खड़े है, इससे ट्रैफिक जाम बना रहता है। ट्रक ऑपरेटर के साथ-साथ मैकेनिक, ढाबे, पैट्रोल पंप इत्यादि को सिमेंट प्लांट बंद होने से सीधा नुकसान है। अदालत ने इस मामले में अदानी ग्रुप से जवाब तलब किया है।