रायबरेली: बसपा ने फिर पिछड़ा कार्ड खेला, ठाकुर बने हाथी के महावत

बसपा ने बुधवार को रायबरेली संसदीय सीट के लिए अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। 34 प्रतिशत अनुसूचित जाति के वोटर वाली रायबरेली सीट पर बसपा ने फिर पिछड़े वर्ग का दांव खेला है। सरेनी विधानसभा सीट से दो बार भाग्य आजमा चुके ठाकुर प्रसाद यादव अबकी लोकसभा चुनाव बसपा के हाथी के महावत बनाए गए हैं।

2014 के चुनाव को छोड़ दिया जाए तो 1996 से अब तक जब तक बसपा मैदान में उतरी पिछड़ी जाति को ही प्रत्याशी बनाया। बसपा का प्रदर्शन भी अच्छा रहा, लेकिन 2014 में गैर पिछड़ी जाति के प्रवेश सिंह को प्रत्याशी बनाया। इस चुनाव में बसपा को सबसे कम 7.71 प्रतिशत वोट मिले। इस बार भी बसपा ने पिछड़ी जाति का प्रत्याशी उतारकर बड़ा गेम खेलने का प्रयास किया है।


रायबरेली में हर बार टॉप-3 में रही बसपा
लोकसभा चुनाव 1996 में पहली बार बसपा ने बाबूलाल लोधी को टिकट दिया। पार्टी प्रत्याशी को 119422 (24.80 फीसदी) मत मिले। 1998 में रमेश कुमार मौर्य पर दांव लगाया। 130342 मत (19.86 फीसदी) पाकर प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे। 1999 के चुनाव में बसपा के आनंद प्रकाश लोधी 137775 (20.13 फीसदी) मत पाकर इस बार भी तीसरे स्थान पर रहे। वर्ष 2004 में बसपा से राजेश यादव को मैदान उतारा। राजेश को 57543 (8.43 फीसदी) मत मिले थे। पांचवी बार भी 2009 में बसपा ने पिछड़े वर्ग पर दांव लगाया। बसपा प्रत्याशी आरएस कुशवाहा 109355 (16.40 फीसदी) मत पाकर दूसरे स्थान पर रहे। 2014 में बसपा से प्रवेश सिंह को उतारा, लेकिन वह 63633 (7.71 फीसदी) मत पर ही सिमटकर रह गए।

2017 में दूसरे व 2022 में तीसरे स्थान पर रहे ठाकुर
सरेनी विधानसभा क्षेत्र के बसपा से ठाकुर प्रसाद यादव दो बार भाग्य आजमा चुके हैं। 2017 के चुनाव में 52866 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे, जबकि 2022 के चुनाव में 38155 वोटर पाकर वे तीसरे स्थान पर खिसक गए। वे लखनऊ के मानसरोवर सेक्टर बी के रहने वाले है। उन्होंने अपना आशियाना सरेनी विधानसभा क्षेत्र के बहाई लालगंज में भी बनवा लिया है। वे 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में जीत का स्वाद चखने में कामयाब नहीं रहे।

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