लेह पहुंचे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, रेजांग ला का दौरा करेंगे

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लद्दाख के जिला लेह पहुंच गए हैं। वह 1962 में यहां युद्ध लड़ने वाले भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए रेजांग ला जाएंगे जहां वह असाधारण बहादुरी के प्रतीक रेजांग ला के शहीदों को सर्मपित नए वार मेमोरियल का उद्घाटन करेंगे। लेह पहुंचने पर उपराज्यपाल आरके माथुर, सांसद जामयांग सेरिंग नामग्याल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने उनका स्वागत किया।

एयरपोर्ट से उतरने के बाद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह पूर्वी लद्दाख में चीन के सामने बने नए वार मेमोरियल के लिए रवाना हो गए। वहां पहुंचकर वह चुशुल में शून्य से बीस डिग्री नीचे के तापमान में 59 वर्ष पहले लड़ी गई रेजांग ला की लड़ाई के 114 नायकों को रेजांग ला बेटल डे पर श्रद्धांजलि देेगें और इसके बाद देश की सरहदों की रक्षा कर रहे सैनिकों का हाैंसला बढ़ाएंगे। 

आपको बता दें कि मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में सेना के जवानों ने 18 दिसंबर 1962 को पांच घंटों में दुश्मन के सात हमले नाकाम कर लड़ते-लड़ते जान देन लद्दाख पर कब्जा करने की दुश्मन की साजिश को नाकाम बना दिया था। सेना की चुशुल ब्रिगेड ने रेंजाग ला की लड़ाई की यादों को ताजा करने के लिए तीन दिवसीय कार्यक्रम की भी शुरूआत की है।

वार मेमोरियल से चीन को जाएगा अपनी हद में रहने का कड़ा संदेश: पूर्वी लद्दाख में चीन के सामने स्थित नया वार मेमारियल, दुश्मन को रेजांग ला, गलवन में मिला कड़ा संदेश याद रखते हुए अपनी हद में रहने का कड़ा संदेश देगा। नया वार मेमोरियल पूर्वी लद्दाख के चुशुल में कैलाश श्रंखला की उन चोटियों के करीब है जिन पर भारतीय सैनिकों ने गत वर्ष अगस्त में कब्जा किया था। सेना के जवानों ने साठ साल के बाद इन चोटियों को वापस लेकर दुश्मन को संदेश दिया था कि उसे मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। इन चोटियों पर कब्जे करने के बाद भारतीय सेना क्षेत्र में रणनीतिक रूप से भी मजबूत हो गई है।ऐसे मे नया रेजांग ला वार मेमोरियल लद्दाख के दुर्गम हालात में चीन से लोहा लेने को तैयार भारतीय सैनिकों का हौंसला बुलंद करने के साथ नई पीढ़ी को भी लद्दाख में सेना की असाधारण वीरता की याद दिलाएगा।

15000 फीट की ऊंचाई पर बना है वार मेमोरियल : चुशुल में पंद्रह हजार फीट की उंचाई पर स्थित नया वार मेमोरियल चीनी क्षेत्र से साफ दिखाई देता है। इस वार मेमोरियल से अपने से दस गुणा अधिक चीनी सैनिकों को मार गिराने वाले 1962 के 114 शहीदों के साथ अपने से दुगने चीनी सैनिकों को मार गिराने वाले गलवन के बीस शहीदों के नाम भी हैं। पुराना वार मेमोरियल छोटा था। नए वार मेमोरियल का विस्तार कर इसमें सभी 114 शहीदों के नामों वाली पत्थर की पट्टिकाएं लगाई गई हैं। इसके साथ वार मेमोरियल पर भी सभी शहीदों के नाम लिखे हैं। वार मेमोरियल में मेजर शैतान सिंह आडिटोरियम बनाया गया है। इसमें 35 लोगों के बैठने की क्षमता है।

युद्ध स्थल का 3-डी मॉडल भी बनाया गया है: आडिटोरियल में युद्ध स्थल का 3-डी माडल भी बनाया गया है। इसके साथ वार मेमोरियल में 1962 के युद्धों की यादों को ताजा करने वाले सामान व फोटो प्रदर्शित करने के लिए गैलरी भी बनाई गई है। वार मेमोरियल के पास हैलीपैड का भी विस्तार कर इसे बड़ा किया गया है। हालांकि चुशुल में शहीदों की याद में वार मेमोरियल 1963 में ही बन गया था। लेकिन कई दशकों तक सरकार की ओर से इस एतिहासिक लड़ाई को महत्व नहीं दिया गया। अब मोदी सरकार के कार्यकाल में इस लड़ाई के वीरों को वह मुकाम दिया जा रहा है जिसके वह हकदार हैं।

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