भर्ती परीक्षा 2016 में पासिंग आउट परेड से वंचित अभियार्थी परेशान

मुजफ्फरनगर। खाकी वर्दी पहनकर सेवा का सपना देखने वाले दरोगाओं की जिंदगी के अरमान रोज टूट रहे हैं। भर्ती परीक्षा 2016 में बिना पासिंग आउट परेड कराए घर भेजे गए 2488 अभ्यर्थियों ने उम्मीद के हर दर पर दस्तक दी, लेकिन निराश लौटे। सियासत के किरदारों ने सिर्फ आश्वासन दिए। फैसला अदालत में सुरक्षित है और अभ्यर्थी इंतजार में है। एक या दो दिन नहीं, बल्कि छह साल बीत गए। इस दौरान क्या कुछ नहीं सहा गया। जेब खाली हुई, शादियां टूट गईं। ताने सहन किए और दूसरी नौकरी की उम्र निकल गई।
केस-एक
रेलवे की नौकरी छोड़कर हुए बेरोजगार
कुटबा-कुटबी गांव का गौरव रेलवे में नौकरी कर रहा था। 2016 में दरोगा बना तो रेलवे की नौकरी छोड़ दी, लेकिन ट्रेनिंग के बाद घर भेज दिया गया। अब गौरव बेरोजगार है।

केस-दो
घर लौटा तो टूट गई शादी
मुजफ्फरनगर के अभ्यर्थी को ट्रेनिंग से वापस घर भेजा गया, तो शादी टूट गई। छह साल में अब तक न नौकरी मिली और न ही शादी हुई। पीड़िता अदालतों के चक्कर काट रहा है।
केस-तीन
बच्चे के जन्म पर कानून का पेंच
बुलंदशहर निवासी महिला अभ्यर्थी ने बताया कि यूपी पुलिस की ट्रेनिंग के दौरान पास आउट होने तक बच्चे को जन्म नहीं देने का शपथ पत्र दिया था। बिना पास आउट हुए घर भेज दिए गए। शादी हो गई। अब अगर बच्चे को जन्म दिया, तो पास आउट परेड में शामिल नहीं करेंगे। सास-ससुर बच्चे के लिए दबाव बना रहे हैं। करीब 600 महिला अभ्यर्थी काफी परेशानी की स्थिति में हैं।
केस-चार
राठी के परिवार का दर्द देखिए
बुलंदशहर के कुशलवीर राठी और उनकी पत्नी सीआईएसएफ में एसआई थीं। यूपी पुलिस में दरोगा बनते ही दोनों ने बिना किसी नोटिस के नौकरी छोड़ दी। दोनों को तीन लाख रुपये हर्जाना देना पड़ा। यूपी पुलिस के दरोगा की नौकरी मिली नहीं। दंपती बेरोजगार होकर अदालतों के चक्कर काट रहे हैं।
मेरठ जोन के जिलों की स्थिति
जिला अभ्यर्थी
मुजफ्फरनगर 75
सहारनपुर 40
शामली 40
मेरठ 120
बागपत 90
बिजनौर 60
गाजियाबाद 60
बुलंदशहर 90
हापुड़ 45
गौतबुद्धनगर 40
दरोगा भर्ती परीक्षा में कब क्या
2016 में फार्म भरा गया। 2017 में लिखित परीक्षा हुई। 2018 में रनिंग हुई और 2019 में प्रशिक्षण। जून 2020 में अदालत का हवाला देकर बिना पासिंग आउट परेड कराए ही घर भेज दिए गए।
भाकियू सरकार से मांगेगी जवाब
भाकियू प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार से जवाब मांगेंगे। आखिर ऐसी क्या वजह है कि सूबे के 2486 बच्चों को रोज मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। सबको नौकरी मिलनी चाहिए। अभ्यर्थियों की समस्या को उठाया जाएगा।

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