सत्य सर्वकालिक एवं सर्वव्यापी है, चाहे वह किसी भी काल में प्रस्फुटित हो। जब कोई सत्य अनायास अथवा देश-काल की परिस्थिति अनुरूप प्रकट होता है। तब हमारे पत्रकार बंधु, विशेषकर बड़े मीडिया हाउसेज के कलमजीवी उस सच्चाई को अपने अपने रंग में डुबो कर पेश करते हैं। देश में पत्रकारों का एक वर्ग है जो चुनाव को कुम्भ एवं महाकुम्भ के रूप में देखता है और हर अच्छे काम को चुनाव के साथ चस्पा कर देने के आदी हो चुका है।
नरेंद्र मोदी सरकार ने देश की महान् हस्तियों को, उनके राष्ट्र के प्रति सेवा- समर्पण भाव को दृष्टिगत रखते हुए सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान से अलंकृत करने की घोषणा की है, उसे भी ये पत्रकार चुनावी मानसिकता से देखने में जुटे हैं।
1 जनवरी, 2024 को मोदी सरकार ने बिहार के जन नायक, अति पिछड़ों व सर्वहारा वर्ग के मसीहा तथा सन् 1970-71, 1977-79 में बिहार के मुख्यमंत्री रहे कर्पूरी ठाकुर को देश के सर्वोच्च सम्मान भारतरत्न से नवाज़ा। 2 फरवरी 2024 को सन् 2002 से 2004 तक भारत के उप प्रधानमंत्री रहे. प्रखर राष्ट्रवादी और पुरातन भारतीय संस्कृति के संवाहक लालकृष्ण आडवाणी को भारतरत्न से अलंकृत किया गया।
आज यह सु:खद घोषणा हुई कि सन् 1991 से 1996 तक प्रधानमंत्री रहे पामुलापति वेंकट नरसिंह राव (पी.वी. नरसिम्हा राव) व सन् 1979 में 28 जुलाई से 20 अगस्त तक प्रधानमंत्री रहे चौ. चरण सिंह, महान् कृषि वैज्ञानिक और भारत में हरित क्रान्ति के जनक डॉ. एम.एस स्वामीनाथन को राष्ट्र के प्रति उनके योगदान के लिए भारतरत्न से अलंकृत किया जायेगा, जिससे समूचा भारत अभिभूत एवं आह्लादित है। आज का दिन राष्ट्रीय सम्मान का गौरवशाली दिन है, जो भारत के सपूतों की राष्ट्र के प्रति उनकी समर्पण भावना को विश्व पटल पर प्रस्तुत करता है।
भारत के जिन सपूतों का सर्वोच्च सम्मान के लिए चयन हुआ है, उसके वे सुपात्र एवं सर्वथा योग्य हैं। यह अवश्य कहा जा सकता है कि सही काम विलम्ब से हुआ है किन्तु इसका अर्थ कतई नहीं कि इनकी योग्यता या प्रतिभा से राष्ट्र अपरिचित था।
किसान मसीहा चौ. चरणसिंह का चरित्र एवं राष्ट्रहित में उनका योगदान स्वर्ण अक्षरों में लिखने योग्य है। आर्थिक सुधारों को दृढ़ता से लागू करने वाले और राष्ट्र हित में अटल बिहारी वाजपेयी को राष्ट्रसंघ में भेजने वाले पी.वी. नरसिम्हा राव का योगदान अविस्मरणीय है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिभावान लोगों तथा उनकी सेवाओं का सम्मान करने के लिए पद्म पुरस्कारों की दिशा बदलने का क्रान्तिकारी, प्रशंसनीय निर्णय लिया है। उन्होंने भाजपा के घोर विरोधी प्रणव मुखर्जी को 2019 में भारतरत्न से नवाजा, जिसके वे हकदार हैं। कांग्रेस के दिग्गज नेता गुलाम नबी आज़ाद को पद्मभूषण से सम्मानित किया। 5 अप्रैल, 2023 को समाजवादी पार्टी के नेता व उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को पद्मविभूषण से अलंकृत किया। इससे पूर्व अनेक गुमनाम हस्तियों को पद्म पुरस्कार प्रदान किये गए। इससे पूर्व भाजपा के समर्थन से वीपी सिंह सरकार द्वारा डॉ. भीमराव अम्बेडकर को भारतरत्न दिया गया। तब चुनाव का कोई प्रश्न नहीं था। अतीत की सरकारों ने पद्म पुरस्कार व यशभारती जैसे पुरस्कार अपने-अपनों को रेवड़ियों की तरह बांटे हैं। नरेंद्र मोदी ने इस परम्परा को उलट दिया हैं सुपात्रों को पुरस्कृत किया जाना राष्ट्र का कर्त्तव्य है। मोदी ने यही किया है। जो लोग सुपात्रों को पुरस्कार मिलने पर सियारों की तरह हुआ-हुआ कर रहे हैं, उनकी बौखलाहट अरण्यरोदन के सिवाय कुछ नहीं है।
गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’